डायबिटीज मरीजों के लिए स्किन इंफेक्शन का खतरा और बचाव के उपाय

डायबिटीज और स्किन इंफेक्शन का संबंध
ब्लड शुगर को कैसे नियंत्रित करें
मधुमेह केवल रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि नहीं है, बल्कि यह शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करता है। विशेष रूप से, त्वचा पर इसका गहरा असर होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, डायबिटीज से ग्रसित व्यक्तियों को सामान्य लोगों की तुलना में स्किन इंफेक्शन का अधिक खतरा होता है। इसका मुख्य कारण शरीर की इम्यूनिटी का कमजोर होना और उच्च रक्त शर्करा के कारण बैक्टीरिया और फंगस का तेजी से बढ़ना है। यदि समय पर ध्यान नहीं दिया गया, तो मामूली संक्रमण भी गंभीर रूप ले सकता है। आइए जानते हैं इसके कारण, लक्षण और बचाव के उपाय।
डायबिटीज में स्किन इंफेक्शन का खतरा क्यों बढ़ता है?
जब रक्त शर्करा का स्तर ऊँचा होता है, तो बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं, जिससे घाव भरने में समय लगता है और संक्रमण बढ़ता है। इसके अलावा, इम्यून सिस्टम की कमजोरी के कारण शरीर संक्रमण से लड़ने में असमर्थ हो जाता है। सूखी त्वचा के कारण खुजली और दरारें पड़ती हैं, जिससे बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
डायबिटीज मरीजों में आम स्किन इंफेक्शन
फंगल इंफेक्शन: डायबिटीज में कैंडिडा फंगस तेजी से बढ़ता है, जिससे खुजली, लाल चकत्ते और जलन हो सकती है।
बैक्टीरियल इंफेक्शन: फोड़े-फुंसी, बालों की जड़ में सूजन (फोलिकुलाइटिस) और सेलुलाइटिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
डायबिटिक डर्मोपैथी: इसमें त्वचा पर भूरे-लाल धब्बे बन जाते हैं, जो धीरे-धीरे गहरे हो जाते हैं।
इचथायोसिस: इस स्थिति में त्वचा अत्यधिक सूखी हो जाती है और सफेद परत जमने लगती है।
बचाव के लिए विशेषज्ञों की सलाह
ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें: स्वस्थ आहार और व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
त्वचा को साफ और सूखा रखें: रोजाना स्नान करें, एंटीसेप्टिक साबुन का उपयोग करें और नमी बनाए रखें।
छोटे घावों को नजरअंदाज न करें: तुरंत एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं और आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
आरामदायक कपड़े पहनें: सिंथेटिक कपड़ों के बजाय सूती कपड़े पहनें ताकि पसीना जल्दी सूख जाए।
डॉक्टर से नियमित जांच कराएं: यदि त्वचा पर कोई असामान्य परिवर्तन दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
डायबिटीज से ग्रसित व्यक्तियों को स्किन इंफेक्शन से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। उच्च रक्त शर्करा न केवल आंतरिक समस्याएं पैदा करता है, बल्कि बाहरी संक्रमण का भी कारण बन सकता है। सही आहार, स्वच्छता और समय पर उपचार से इस समस्या से बचा जा सकता है।