जलनेति: नाक की सफाई के लाभ और विधि

जलनेति की परिभाषा
जलनेति एक महत्वपूर्ण योग क्रिया है, जिसका उद्देश्य नाक की सफाई करना है। यह प्रक्रिया साइनस, सर्दी, जुकाम और प्रदूषण से सुरक्षा प्रदान करती है। इसमें गुनगुने नमकीन पानी का उपयोग किया जाता है, जिसे नेटिपोट से एक नथुने में डाला जाता है और दूसरे से बाहर निकाला जाता है। संक्षेप में, जलनेति एक ऐसी विधि है जो नाक की सफाई करती है और नाक से संबंधित बीमारियों से राहत दिलाती है। इसे दिन में किसी भी समय किया जा सकता है, और जुकाम होने पर इसे कई बार भी किया जा सकता है। नियमित अभ्यास से यह नासिका क्षेत्र में कीटाणुओं के विकास को रोकता है। जलनेति के लिए एक लम्बी नली वाला बर्तन आवश्यक होता है, जो आसानी से उपलब्ध होता है।
जलनेति की प्रक्रिया
जलनेति करने के लिए नमक मिलाकर पानी को गर्म करके हल्का गुनगुना करें। फिर इस पानी को टोटी वाले बर्तन में भरें। नीचे बैठकर, लोटे की टोटी को उस नथुने में लगाएं, जिससे सांस ले रहे हों और मुंह खोलकर रखें। टोटी को हल्का ऊपर उठाकर पानी को नाक में डालें, जिससे पानी दूसरे नथुने से बाहर निकलेगा। जब लोटे का सारा पानी खत्म हो जाए, तो टोटी को निकालें और इसी प्रक्रिया को दूसरे नथुने से दोहराएं। ध्यान रखें कि नाक में पानी डालते समय मुंह खुला रखें और सांस मुंह से लें। प्रक्रिया के बाद कपालभांति या भस्त्रिका प्राणायाम करें।
जलनेति के दौरान सावधानियाँ
- जलनेति करते समय सावधानी बरतें और सुनिश्चित करें कि पानी पूरी तरह बाहर निकल जाए, क्योंकि यदि पानी अंदर रह जाए तो जुकाम या सिरदर्द हो सकता है। इसे किसी विशेषज्ञ की देखरेख में करना बेहतर है।
- पहली बार जलनेति करते समय किसी एक्सपर्ट की मौजूदगी में करना चाहिए।
- जलनेति के बाद नाक को सुखाने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम करें। एक नथुने को बंद करके भस्त्रिका करें और फिर दूसरे नथुने से दोहराएं।
- नाक को सूखने के लिए अग्निसार क्रिया भी की जा सकती है।
- नाक को जोर से नहीं पोछना चाहिए, क्योंकि इससे पानी कानों में जा सकता है।
- पानी और नमक का अनुपात सही होना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक या कम नमक जलन और पीड़ा पैदा कर सकता है।
- इस योग क्रिया के दौरान मुंह से ही सांस लेनी चाहिए।
जलनेति के स्वास्थ्य लाभ
- जलनेति नियमित रूप से करने से मस्तिष्क से विषैला रस बाहर निकलता है, जो कान, आंखों और गले के रोगों का कारण बन सकता है।
- इस प्रक्रिया से आंखों की रोशनी में सुधार होता है और चश्मे की आवश्यकता कम हो जाती है। श्वास की नली साफ होती है, जिससे जुकाम और सर्दी के अवसर कम होते हैं। जलनेति से दमा, टी.बी., खांसी, नकसीर, बहरापन जैसी छोटी-मोटी 1500 बीमारियाँ दूर होती हैं।
- यह नाक और गले की गंदगी को साफ करता है और सर्दी, खांसी, जुकाम, सिरदर्द आदि रोगों से राहत दिलाता है। यह आंखों और कानों की बीमारियों के लिए भी लाभकारी है। इसके अलावा, यह तनाव को कम करता है और मस्तिष्क को जागृत करता है।