चीन का नया एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान: वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव

चीन ने हाल ही में अपने सबसे बड़े और आधुनिक एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान का कमीशन किया है, जो अमेरिका और भारत के लिए नई चुनौतियाँ पेश कर सकता है। इसकी शक्ति-प्रदर्शन क्षमता प्रशांत महासागर से हिंद महासागर तक बढ़ गई है। यह कदम चीन की ब्लू-वॉटर नेवी की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। जानें कैसे फुजियान अमेरिका की नौसैनिक बढ़त को चुनौती दे सकता है और भारत के लिए क्या रणनीतिक प्रभाव हो सकते हैं।
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चीन का नया एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान: वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव

चीन का आधुनिक एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान

चीन का नया एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान: वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव

एयरक्राफ्ट कैरियर ‘फुजियान’ (Type-003)

चीन ने हाल ही में अपने सबसे बड़े और अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान (Type-003) का कमीशन किया है। यह चीन का पहला पूरी तरह स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम शामिल है, जो अमेरिका के सुपर कैरियर्स में भी उपयोग होता है।

फुजियान के शामिल होने से चीन की नौसेना अब तीन कैरियर फ्लीट में बदल गई है, जिससे उसकी शक्ति-प्रदर्शन क्षमता प्रशांत महासागर से हिंद महासागर तक बढ़ गई है। इसकी 80,000 टन की क्षमता और 316 मीटर लंबाई इसे चीन का सबसे बड़ा कैरियर बनाती है, जो 50 से अधिक विमानों को एक साथ ऑपरेट कर सकता है, जिनमें J-35 स्टील्थ फाइटर और KJ-600 अर्ली वॉर्निंग प्लेन शामिल हैं। यह पुराने डिजाइनों की तुलना में 30 से 50 प्रतिशत अधिक sorties (वायु मिशन) संचालित कर सकता है।

ब्लू-वॉटर नेवी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

डिफेंस सूत्रों के अनुसार, यह कदम चीन की ब्लू-वॉटर नेवी की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। खासकर जब ताइवान जलडमरूमध्य और दक्षिण चीन सागर में तनाव बढ़ रहा है, यह विकास अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए चिंता का विषय बन सकता है, साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के लिए एक नई रणनीतिक चुनौती भी।

अमेरिका की नौसैनिक बढ़त को चुनौती

फुजियान की तैनाती अमेरिका की नौसैनिक बढ़त को चुनौती दे सकती है। यह कैरियर पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में चीन की मौजूदगी को बढ़ा सकता है, जिससे गुआम, जापान और ताइवान के आसपास चीन की पकड़ मजबूत हो सकती है। ताइवान स्ट्रेट में पहले से ही तनाव है, और अब यह कैरियर वहां चीन की शक्ति को और बढ़ा देगा। अमेरिका के लिए यह एक रणनीतिक चुनौती है, हालांकि उसके पास अभी भी 11 न्यूक्लियर कैरियर और एक मजबूत वैश्विक नेटवर्क है।

भारत और एशिया पर प्रभाव

भारत के लिए यह एक चिंता का विषय है, क्योंकि फुजियान हिंद महासागर क्षेत्र में भी सक्रिय हो सकता है, जो चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति का हिस्सा है। जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देश भी इस कदम को अपने क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं। यह कदम इंडो-पैसिफिक में शक्ति संतुलन को बदल सकता है।

भारत के लिए रणनीतिक प्रभाव

चीन पहले से ही ग्वादर (पाकिस्तान) और हंबनटोटा (श्रीलंका) जैसे बंदरगाहों पर अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है, जिसे स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति कहा जाता है। यदि फुजियान जैसे कैरियर हिंद महासागर में तैनात होते हैं, तो यह भारत की समुद्री बढ़त को चुनौती दे सकते हैं। वहीं, भारत का तीसरा विमानवाहक पोत (IAC-2) अभी भी स्वीकृति का इंतज़ार कर रहा है, जिससे रणनीतिक असंतुलन का खतरा बढ़ सकता है।

भारत की ताकत और तैयारी

भारत वर्तमान में दो कैरियर INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत का संचालन कर रहा है और क्वाड देशों (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत कर रहा है। इसके अलावा, भारत के पास ब्रहमोस मिसाइल, उन्नत समुद्री निगरानी, और डिएगो गार्सिया जैसे अमेरिकी ठिकानों का सहयोग एक संतुलन बनाए रखता है।

फुजियान भविष्य में चुनौती

फुजियान का कमीशन होना अमेरिका, भारत और अन्य देशों के लिए तत्काल खतरा नहीं है, लेकिन भविष्य में यह एक चुनौती बन सकता है। यह चीन की बढ़ती नौसैनिक शक्ति का संकेत है, जो आने वाले वर्षों में हिंद महासागर में उसके प्रभाव को बढ़ा सकती है। भारत को अब अपनी नौसेना आधुनिकीकरण योजना को तेज करने और रणनीतिक साझेदारियों को और मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि वह क्षेत्र में अपनी बढ़त बनाए रख सके.