खेसारी लाल यादव: संघर्ष से सफलता की कहानी

खेसारी लाल यादव की कहानी संघर्ष और मेहनत की एक प्रेरणादायक मिसाल है। दूध बेचने से लेकर लिट्टी चोखा की दुकान लगाने तक, उन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए कई कठिनाइयों का सामना किया। आज वे भोजपुरी सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में से एक हैं और बिहार चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवार के रूप में चर्चा में हैं। जानें उनके जीवन के इस अद्भुत सफर के बारे में।
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खेसारी लाल यादव: संघर्ष से सफलता की कहानी

खेसारी लाल यादव का प्रेरणादायक सफर

खेसारी लाल यादव: संघर्ष से सफलता की कहानी

खेसारी लाल यादव

भोजपुरी सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता खेसारी लाल यादव की कहानी किसी फिल्म की पटकथा से कम नहीं है। आज जिस खेसारी लाल को लाखों लोग पसंद करते हैं, उनका सफर संघर्ष और मेहनत का प्रतीक है। एक समय था जब उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दूध बेचना पड़ा। उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिल्ली में लिट्टी-चोखा की दुकान भी खोली। इन कठिनाइयों ने उन्हें वह ताकत दी, जिसके बल पर वे आज भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े सितारों में से एक बन गए हैं।

खेसारी लाल यादव इस समय बिहार चुनावों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। वे छपरा विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। इस दौरान उन्हें कभी अपने पेशे के बारे में बात करते देखा जा रहा है, तो कभी चुनावी मुद्दों पर चर्चा करते हुए। उनके प्रारंभिक संघर्ष की बात करें, तो वे बिहार के छपरा जिले से हैं और उनका जन्म शत्रुघ्न कुमार यादव के नाम से हुआ था। उनका जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था।

नौकरी छोड़ने का साहस

खेसारी की पारिवारिक आर्थिक स्थिति प्रारंभ में बहुत कमजोर थी। बचपन से ही उन्हें गाने का शौक था, लेकिन गरीबी के कारण यह सपना अधूरा रह जाता था। पैसों की कमी के कारण खेसारी को बचपन में दूध बेचने का काम करना पड़ा। इतना ही नहीं, उन्होंने बारातों में महिला डांसर के रूप में भी काम किया। उनके पिता चना बेचते थे, लेकिन वे चाहते थे कि खेसारी बीएसएफ में नौकरी करें। खेसारी ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने बीएसएफ जॉइन किया था, लेकिन छह महीने में ही नौकरी छोड़ दी।

लिट्टी चोखा बेचकर कमाए पैसे

नौकरी छोड़ने के बाद खेसारी ने संगीत को अपना करियर बनाने का निर्णय लिया और पैसे कमाने के लिए दिल्ली चले गए, क्योंकि गाना रिलीज करने के लिए उन्हें पैसे की आवश्यकता थी। दिल्ली में उन्होंने लिट्टी चोखा की दुकान खोली और वहां आने वाले ग्राहकों को गाने सुनाते थे। हालांकि, पहले एल्बम को खास रिस्पॉन्स नहीं मिला, लेकिन बाद में उन्होंने और गाने गाए, जिन्हें लोगों ने पसंद किया। इसके बाद उन्होंने अभिनय में भी किस्मत आजमाई और अपनी पहचान बनाई।