उषा उत्थुप: पॉप संगीत की रानी का सफर

उषा उत्थुप, भारतीय पॉप संगीत की एक अद्वितीय आवाज, ने अपने करियर की शुरुआत एक नाइट क्लब से की थी। 1947 में जन्मी उषा ने अपनी गायिकी से बॉलीवुड में एक खास स्थान बनाया। उनके स्टाइल और आवाज ने उन्हें पॉप संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया। इस लेख में जानें उनके सफर, यादगार गानों और उनके प्रभाव के बारे में।
 | 
उषा उत्थुप: पॉप संगीत की रानी का सफर

उषा उत्थुप का अद्वितीय सफर

उषा उत्थुप: पॉप संगीत की रानी का सफर

उषा उत्थुप

भारतीय संगीत की एक अनोखी आवाज और स्टाइल आइकन, उषा उत्थुप का नाम जब भी पॉप एंटरटेनमेंट या फ़िल्मी गीतों की बात होती है, तो एक अलग चमक के साथ सामने आता है। 7 नवंबर 1947 को तमिलनाडु के मद्रास में जन्मी उषा ने अपने करियर की शुरुआत एक नाइट क्लब से की थी, लेकिन अपनी आवाज के जादू से उन्होंने सबका ध्यान खींचा। इसके बाद, उन्होंने बॉलीवुड में पॉप सिंगर के रूप में अपनी विशेष पहचान बनाई।

20 साल की उम्र में, उषा उत्थुप ने अपनी गायिकी की शुरुआत चेन्नई के माउंट रोड पर स्थित एक छोटे नाइट क्लब “नाइन जेम्स” में की थी। साड़ी और लेग-कैलिपर पहने हुए, वह मंच पर जितनी सहज थीं, उतनी ही उनके रवैये में एक विशेषता थी। तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि वह लड़की बॉलीवुड की पॉप आइकन बन जाएगी, जिस पर आज भी लोग गर्व करते हैं। उषा की सबसे खास बात उनकी आवाज के साथ-साथ उनका लुक भी था।

पॉप संस्कृति का हिस्सा

कांजीवरम साड़ी, बड़ी गोल बिंदी, फूलों से सजे बाल-गजरे और मंच पर आत्मविश्वास से भरी बॉडी लैंग्वेज ने उनके व्यक्तित्व को और भी खास बना दिया। इस तरह के अवतार ने उन्हें पॉप संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है। उनकी आवाज में वह जादू था, जो सुनते ही दिल को छू जाता था, और उनका स्टाइल दर्शकों को मोहित कर देता था। उषा ने अपने करियर की शुरुआत में बॉलीवुड में कदम रखा जब उन्होंने फिल्म “बॉम्बे टॉकीज” में अंग्रेजी गाना गाया था।

दिए कई कमाल के गाने

70-80 के दशक में, उन्होंने आर डी बर्मन, बप्पी लहरी जैसे महान सिंगर्स और म्यूजिक कंपोजर्स के साथ काम किया और कई यादगार गाने दिए। इनमें “एक दो चा चा चा”, “शान से”, “तू मुझे जान से भी प्यारा है”, “कोई यहां आहा नाचे नाचे” जैसे गाने शामिल हैं। इन गानों ने उन्हें केवल आवाज नहीं दी, बल्कि एक पहचान भी दिलाई। उषा उत्थुप के करियर में विविधता की कोई कमी नहीं थी। हिंदी के अलावा, उन्होंने मलयालम, तेलुगु जैसी 18 भाषाओं में गाने गाए हैं।