इटावा का पिलुआ हनुमान मंदिर: चमत्कारों का अद्भुत स्थल

इटावा का पिलुआ हनुमान मंदिर अपने अद्भुत चमत्कारों के लिए जाना जाता है। यहाँ हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा भक्तों का प्रसाद ग्रहण करती है, जो इसे एक विशेष स्थान बनाती है। यह मंदिर लगभग 700 वर्ष पुराना है और महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। जानें इस मंदिर की अनोखी विशेषताओं और भक्तों की आस्था के बारे में।
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इटावा का पिलुआ हनुमान मंदिर: चमत्कारों का अद्भुत स्थल

हनुमान जी का अनोखा मंदिर

इटावा का पिलुआ हनुमान मंदिर: चमत्कारों का अद्भुत स्थल


हनुमान जी, जो भगवान श्री राम के सबसे प्रिय भक्त माने जाते हैं, के चमत्कारों की कहानियाँ प्रचलित हैं। देशभर में हनुमान जी के कई मंदिर हैं, लेकिन कुछ विशेष मंदिर अपनी अद्भुत विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं।


आज हम आपको इटावा के पास स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जो अपने अनोखे स्वरूप के लिए जाना जाता है। यह मंदिर प्रताप नगर ग्राम रुरा में यमुना नदी के किनारे स्थित है, जो इटावा मुख्यालय से केवल 10 किलोमीटर दूर है। यहाँ हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा है, जो अपने आप में अद्भुत है।


हनुमान जी की मूर्ति का चमत्कार

हनुमान जी की मूर्ति खाती है लड्डू, पीती है दूध


पिलुआ हनुमान मंदिर में हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा का मुंह खुला हुआ है। यहाँ भक्त बड़ी संख्या में आते हैं और जो भी लड्डू या दूध भोग लगाते हैं, वह सीधे हनुमान जी के पेट में चला जाता है। यह चमत्कार आज तक किसी भी शोधकर्ता द्वारा समझा नहीं जा सका है। यह मंदिर न केवल जिले में, बल्कि पूरे देश में श्रद्धालुओं का प्रमुख केंद्र बन चुका है।


प्राचीनता और महत्व

यह मंदिर लगभग 700 वर्ष पुराना है और इसे सिद्ध पीठ के रूप में भी जाना जाता है। पहले हनुमान जी की प्रतिमा एक पेड़ के नीचे थी, लेकिन अब यह भव्य मंदिर का रूप ले चुका है। यहाँ पिलुआ पेड़ की अधिकता के कारण इसे पिलुआ हनुमान मंदिर कहा जाता है।


हनुमान जी की अद्भुत मूर्ति

हर समय रामधुन रटते रहते हैं हनुमान जी


हनुमान जी की यह प्रतिमा स्थापत्य कला का एक अद्भुत उदाहरण है। यहाँ भक्तों का प्रसाद ग्रहण करने की विशेषता है। मान्यता है कि हनुमान जी ने हजारों टन लड्डू का प्रसाद ग्रहण किया है, लेकिन उनका मुंह कभी नहीं भरा। उनके मुख से जल और दूध हमेशा निकलते रहते हैं, जो यह दर्शाता है कि वह हर समय रामधुन का जाप करते हैं।


महाभारत काल से जुड़ा इतिहास

महाभारत काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास


इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। यहाँ आने वाले भक्तों की इच्छाएँ पूरी होती हैं। मंगलवार और शनिवार को यहाँ भक्तों की भारी भीड़ होती है, विशेषकर बुढ़वा मंगल के दिन। लाखों भक्त इस दिन भगवान बजरंगबली के दर्शन करने आते हैं।