'क्या लेके आए थे... जो खो गया?'... सिद्धांत चतुर्वेदी ने लिखी खूबसूरत कविता

मुंबई, 26 अगस्त (आईएएनएस)। बॉलीवुड के उभरते सितारे सिद्धांत चतुर्वेदी 'गली बॉय', 'फोन भूत', और 'गहराइयां' जैसी फिल्मों में अपने दमदार अभिनय के लिए जाने जाते हैं। लेकिन, पर्दे के पीछे उनकी एक और दुनिया है, जो काफी शांत, सोचने वाली और भावुक है।
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'क्या लेके आए थे... जो खो गया?'... सिद्धांत चतुर्वेदी ने लिखी खूबसूरत कविता

मुंबई, 26 अगस्त (आईएएनएस)। बॉलीवुड के उभरते सितारे सिद्धांत चतुर्वेदी 'गली बॉय', 'फोन भूत', और 'गहराइयां' जैसी फिल्मों में अपने दमदार अभिनय के लिए जाने जाते हैं। लेकिन, पर्दे के पीछे उनकी एक और दुनिया है, जो काफी शांत, सोचने वाली और भावुक है।

हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं, जिनमें वह कभी वर्कआउट करते नजर आ रहे हैं, तो कभी किसी शांत जगह पर प्रकृति का आनंद लेते दिख रहे हैं। इन तस्वीरों से ज्यादा ध्यान खींचा उनके कैप्शन ने, जिसमें उन्होंने एक बेहद भावुक और गहरी कविता लिखी है।

सिद्धांत ने अपनी इस पोस्ट में न सिर्फ अपनी झलक दिखाई, बल्कि दिल की बातें भी बड़ी ही सादगी और गहराई से लिखीं।

अभिनेता ने लिखा, ''क्या लेके आए थे... जो खो गया? यूं तो हजार ख्वाहिशें बिकती हैं बाजार में... बस एक कलम है, जो खो गई इस 'ऑटो-करेक्ट' समाज में... एक दो पन्ने भी खोए हैं... जिसपे सपने लिखे-मिटाए थे, 'कोई देख ना ले' के लाज में... वो 'मिसफिट' सी शर्ट जो अलमारी में पड़ी रह गई... उस एक दिन का इंतज़ार है... यहीं तो कुछ अपना पुराना था, जो खो गया... यूं तो सारी ख्वाहिशें खत्म रखी हैं, आज रिप्ड जीन्स की जेबों में... सपने जो शर्मिंदा करते थे पन्नों पे किसी दिन, आज छपते हैं अखबारों में...।''

उन्होंने अपनी कविता के जरिए इस बात को बताने की कोशिश की कि आज के समाज में असली भावनाएं और कलम और कागज की सच्ची अभिव्यक्ति कहीं खो गई हैं। वहीं, कई लोग अपने सपनों को डर या संकोच के चलते दबा देते हैं।

बता दें कि सिद्धांत का कविता से यह रिश्ता कोई नया नहीं है। उन्होंने पहले भी कई इंटरव्यूज में बताया है कि उन्हें हिंदी से गहरा लगाव है और वे खुद कविताएं और मुक्तक लिखते हैं। उन्होंने यह तब शुरू किया, जब वह 19 से 24 साल की उम्र के बीच बेरोजगार थे और उनके पास कुछ करने के लिए नहीं था। उस समय उनके दोस्त करियर में आगे बढ़ रहे थे, और वे खुद को अकेला महसूस करते थे। उन्होंने अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोना शुरू किया।

उन्होंने एक बार कहा था, "मेरे सपनों की क्या कीमत बताऊं, बस रोज कम होता उधार मेरा।" इस एक लाइन में उन्होंने बताने की कोशिश की, कि उनके सपने बहुत अनमोल हैं, उनकी कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती। उन्हें पाने के लिए वह लगातार मेहनत कर रहे हैं, और हर दिन थोड़ा-थोड़ा करके अपने संघर्षों, परेशानियों या कर्जों को चुका रहे हैं।

सिद्धांत का इंस्टाग्राम पर एक खास पेज 'सिड चैट्स' भी है, जहां वे अपनी कविताएं साझा करते हैं।

--आईएएनएस

पीके/एबीएम