जयंती विशेष: इंदीवर का अनोखा अंदाज, 'क्या' शब्द से रच दी गीतों की दुनिया

मुंबई, 14 अगस्त (आईएएनएस)। हिंदी सिनेमा के मशहूर गीतकार इंदीवर का नाम सुनते ही कई दिल छूने वाले गीत याद आते हैं। उनकी खासियत थी कि वो बहुत साधारण शब्दों में भी गहरी बातें कह जाते थे। ऐसा ही एक शब्द था 'क्या', यह एक छोटा सा शब्द इंदीवर के लिए सिर्फ सवाल पूछने का जरिया नहीं था, बल्कि उनके गीतों का दिल और आत्मा बन गया था। उन्होंने इस शब्द के जरिए ऐसे कई गाने रचे जो आज भी लोगों की जुबान पर हैं।
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जयंती विशेष: इंदीवर का अनोखा अंदाज, 'क्या' शब्द से रच दी गीतों की दुनिया

मुंबई, 14 अगस्त (आईएएनएस)। हिंदी सिनेमा के मशहूर गीतकार इंदीवर का नाम सुनते ही कई दिल छूने वाले गीत याद आते हैं। उनकी खासियत थी कि वो बहुत साधारण शब्दों में भी गहरी बातें कह जाते थे। ऐसा ही एक शब्द था 'क्या', यह एक छोटा सा शब्द इंदीवर के लिए सिर्फ सवाल पूछने का जरिया नहीं था, बल्कि उनके गीतों का दिल और आत्मा बन गया था। उन्होंने इस शब्द के जरिए ऐसे कई गाने रचे जो आज भी लोगों की जुबान पर हैं।

इस गीतकार का जन्म 15 अगस्त 1924 को उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के बरुआ सागर कस्बे में हुआ था। उनका असली नाम श्यामलाल बाबू राय था। उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा। माता-पिता के निधन के बाद उन्होंने जिम्मेदारियों का बोझ उठाना शुरू कर दिया। उन्हें कविता और गीतों का शौक बचपन से था। उन्होंने श्यामलाल आजाद के नाम से कविताएं लिखीं। उनकी पहचान तब बनी जब झांसी के एक समाजसेवी रामसेवक रिछारिया ने उनका मार्गदर्शन किया और कवि सम्मेलनों में भाग लेने का मौका दिलाया। हालांकि इस दौरान उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए; शादी से परेशान होकर एक बार वह मुंबई आ गए, लेकिन सफलता नहीं मिली तो वापस लौट गए। फिर जब जीवन थोड़ा स्थिर हुआ, तो उन्होंने दोबारा मुंबई का रुख किया।

मुंबई में शुरुआत आसान नहीं थी। उन्होंने 'डबल फेस' (1946) नाम की फिल्म से काम शुरू किया, लेकिन उन्हें पहचान मिली फिल्म 'मल्हार' (1951) से, जिसमें उनका गीत 'बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी कसम' बेहद लोकप्रिय हुआ। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने करीब 45 साल के अपने करियर में 1000 से ज्यादा गीत लिखे, लेकिन उनका पसंदीदा शब्द 'क्या' एक ताकतवर शब्द बनकर सामने आया। उन्होंने अपने कई गानों में 'क्या' शब्द का इस्तेमाल किया और वह सब हिट रहे। उदाहरण के तौर पर उनका सुपरहिट गाना, 'कसमे वादे प्यार वफा, सब बातें हैं बातों का क्या?' इस गाने में उन्होंने 'क्या' शब्द का इस्तेमाल प्यार में मिली निराशा को जाहिर करने के लिए किया।

वहीं उनका एक और मशहूर गाना है, 'एक तू ना मिला, सारी दुनिया मिली भी तो क्या है?'... इस गाने में उन्होंने 'क्या' शब्द का इस्तेमाल अकेलेपन और अधूरेपन की गहराई को बयां करने के लिए किया। इसी तरह, रोमांटिक गानों में भी उन्होंने 'क्या' शब्द को बेहद सुंदर ढंग से इस्तेमाल किया। उनका हिट गाना, 'क्या खूब लगती हो, बड़ी सुंदर दिखती हो'… इस गाने में 'क्या' शब्द को तारीफ के तौर पर इस्तेमाल किया गया।

उनकी लिस्ट में कई सुपरहिट गाने मौजूद हैं, जिनमें 'कसमे वादे प्यार वफा', 'होठों से छू लो तुम', 'चंदन सा बदन', 'ना कजरे की धार', 'जिंदगी का सफर', और 'तुम मिले दिल खिले' जैसे गाने शामिल हैं। उन्होंने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, कल्याणजी-आनंदजी, बप्पी लाहिरी, जतिन-ललित, और अनु मलिक समेत कई संगीतकारों के साथ लंबे समय तक काम किया। उन्होंने देशभक्ति, प्रेम, विरह, और यहां तक कि डिस्को सॉन्ग भी बड़ी ही खूबसूरती के साथ लिखे।

पुरस्कार की बात करें तो उन्हें कई बार फिल्मफेयर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया। 1976 में फिल्म 'अमानुष' के गाने 'दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा' के लिए उन्हें 'फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार' का पुरस्कार मिला।

1990 के दशक में भी उन्होंने 'करण अर्जुन', 'कोयला', 'जुर्म', और 'क्रिमिनल' जैसी फिल्मों के लिए यादगार गाने लिखे।

27 फरवरी 1997 को इंदीवर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन उनके गाने आज भी हर किसी के मन में जिंदा हैं।

--आईएएनएस

पीके/केआर