ओटीटी पर बढ़ती सेंसरशिप से खुश रुसलान मुमताज, बोले- साफ-सुथरे कंटेंट के लिए जरूरी

मुंबई, 27 जुलाई (आईएएनएस)। एक्टर रुसलान मुमताज ने हाल ही में ओटीटी पर बढ़ती हुई सेंसरशिप के बारे में अपनी बात रखी।
रुसलान मुमताज ने आईएएनएस को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि वह इस बात से खुश हैं कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अब नियम बनाए जा रहे हैं। पहले यहां कुछ भी दिखाया जा सकता था, लेकिन अब थोड़ी जिम्मेदारी और संतुलन आ गया है। इससे हर उम्र के दर्शकों के लिए बेहतर और साफ-सुथरा कंटेंट बन पाएगा।
आईएएनएस से बात करते हुए रुसलान मुमताज ने कहा, "एक समय था जब ओटीटी का कंटेंट बहुत ज्यादा पश्चिमी हो गया था। उसमें ज्यादा बोल्ड और अश्लील सीन सिर्फ लोगों को आकर्षित करने के लिए डाले जाते थे। एक एक्टर के तौर पर हम ऐसा काम करना चाहते हैं जिस पर हमें गर्व हो और जिसे हम अपने परिवार वालों के साथ भी देख सकें।"
ओटीटी कंटेंट पर सेंसरशिप का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, "मैं पूरी तरह से सेंसरशिप के पक्ष में हूं कि कोई हो जो देखे कि क्या दिखाया जा रहा है, खासकर जब बात संवेदनशील कंटेंट की हो।"
हाल ही में सरकार ने 'उल्लू', 'ऑल्ट' और 'देसीफ्लिक्स 'जैसे 25 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया है।
इन 25 प्रतिबंधित ऐप्स में बिग शॉट्स ऐप, बूमेक्स, नवरसा लाइट, गुलाब ऐप, कंगन ऐप, बुल ऐप, जलवा ऐप, वाउ एंटरटेनमेंट, लुक एंटरटेनमेंट, हिटप्राइम, फेनेओ, शोएक्स, सोल टॉकीज, अड्डा टीवी, हॉटएक्स वीआईपी, हलचल ऐप, मूडएक्स, नियोनएक्स वीआईपी, फूगी, मोजफ्लिक्स, और ट्राइफ्लिक्स शामिल हैं।
सरकार का कहना है कि ये ऐप्स ज्यादातर अश्लील कंटेंट दिखा रहे थे। इन्हें रोकना जरूरी था ताकि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर जिम्मेदार और साफ-सुथरा कंटेंट दिखाया जाए।
ये ऐप्स कथित तौर पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 और 67ए, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 294, और महिलाओं का अश्लील चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986 की धारा 4 जैसे विभिन्न कानूनों का उल्लंघन कर रहे थे।
--आईएएनएस
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