बर्थडे स्पेशल : शब्दों में देशभक्ति, सुरों में जोश... अमर हैं प्रेम धवन के नगमे

मुंबई, 12 जून (आईएएनएस)। जब भी बात देशभक्ति के गानों की होती है, प्रेम धवन का नाम शीर्ष गीतकारों में आता है। उनके लिखे गीत जैसे 'सरफरोशी की तमन्ना' और 'ए वतन, ए वतन' आज भी रगों में जोश भर देते हैं। वह जितने बेहतरीन गीतकार थे, उतने ही शानदार संगीतकार और कोरियोग्राफर भी थे। यह बात कम लोग ही जानते हैं कि उन्होंने फिल्मों में अभिनय भी किया था। उनके लेखन में सिर्फ शब्द नहीं, एक पूरा जज्बा बसता था। उन्हें 1970 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया और अगले साल 1971 में सर्वश्रेष्ठ गीतकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था।
 | 
बर्थडे स्पेशल : शब्दों में देशभक्ति, सुरों में जोश... अमर हैं प्रेम धवन के नगमे

मुंबई, 12 जून (आईएएनएस)। जब भी बात देशभक्ति के गानों की होती है, प्रेम धवन का नाम शीर्ष गीतकारों में आता है। उनके लिखे गीत जैसे 'सरफरोशी की तमन्ना' और 'ए वतन, ए वतन' आज भी रगों में जोश भर देते हैं। वह जितने बेहतरीन गीतकार थे, उतने ही शानदार संगीतकार और कोरियोग्राफर भी थे। यह बात कम लोग ही जानते हैं कि उन्होंने फिल्मों में अभिनय भी किया था। उनके लेखन में सिर्फ शब्द नहीं, एक पूरा जज्बा बसता था। उन्हें 1970 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया और अगले साल 1971 में सर्वश्रेष्ठ गीतकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था।

प्रेम धवन का जन्म 13 जून 1923 को हरियाणा के अंबाला में हुआ था। उनकी पढ़ाई लाहौर में हुई थी, जहां उनके पिता जेल अधीक्षक थे।

लेखिका मधुलिका लिडले के मुताबिक, कॉलेज की पढ़ाई के बाद वह बॉम्बे आए और इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन (आईपीटीए) से जुड़ गए। आईपीटीए में उस समय कई बड़े कलाकार जैसे गुरु दत्त, बलराज साहनी, साहिर लुधियानवी और सलिल चौधरी भी थे। प्रेम धवन ने उदय शंकर और रवि शंकर से शास्त्रीय संगीत सीखा और आईपीटीए के लिए देशभक्ति गीत लिखने लगे।

प्रेम धवन ने 1946 में फिल्म 'धरती के लाल' से गीतकार के रूप में अपने सफर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में शानदार गीत लिखे, जिसमें 'आराम', 'तराना', 'आसमान', 'शोला और शबनम', 'काबुलीवाला', 'एक फूल दो माली' और 'पूरब और पश्चिम' समेत कई फिल्में शामिल हैं। उनके देशभक्ति गानों 'ऐ वतन ऐ वतन' और 'मेरा रंग दे बसंती चोला' बहुत मशहूर हुए और इस तरह उन्होंने अपने गानों और संगीत से देशभक्ति और भावनाओं को लोगों के दिलों तक पहुंचाया।

प्रेम धवन ने अपने करियर में गीत लिखने और संगीत देने के साथ-साथ अभिनय और कोरियोग्राफी भी की। उन्होंने साल 1950 में रिलीज हुई 'लाजवाब' और 1959 में रिलीज हुई 'गूंज उठी शहनाई' में अभिनय किया, और 'वचन' जैसी फिल्मों में कोरियोग्राफर के रूप में काम किया। हालांकि उन्हें कोरियोग्राफी में ज्यादा सफलता नहीं मिली, लेकिन उनके गीतों और संगीत ने उन्हें खास पहचान दिलाई।

मनोरंजन क्षेत्र में उनके योगदान के चलते भारत सरकार ने उन्हें 1970 में पद्म श्री से सम्मानित किया। 1971 में उन्हें फिल्म 'नानक दुखिया सब संसार' के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला।

वह 7 मई 2001 को 77 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए।

--आईएएनएस

पीके/एकेजे