82 वर्षीय बॉलीवुड अभिनेत्री की हनुमान चालीसा का पाठ करने की कहानी

At 82, Bollywood actress Asha Parekh continues to captivate audiences not just with her films but also with her spiritual journey. Despite her Muslim heritage, she recites the Hanuman Chalisa, a practice rooted in her family's beliefs. This article delves into her life, exploring her early years, the impact of her mother's spirituality, and the reasons behind her faith. Join us as we uncover the fascinating story of a woman who has navigated the complexities of religion and personal belief in the film industry.
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82 वर्षीय बॉलीवुड अभिनेत्री की हनुमान चालीसा का पाठ करने की कहानी

धर्म और आस्था का अनोखा संगम

82 वर्षीय बॉलीवुड अभिनेत्री की हनुमान चालीसा का पाठ करने की कहानी


आज की पीढ़ी में धर्म के प्रति आस्था की कमी देखी जा रही है, और 90% लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। ऐसे में, बॉलीवुड में इंटरकास्ट विवाह की बढ़ती प्रवृत्ति भी नजर आ रही है। 82 वर्षीय इस अभिनेत्री ने 85 से अधिक फ़िल्मों में काम किया है, लेकिन उनकी व्यक्तिगत ज़िंदगी हमेशा चर्चा का विषय रही है।


कौन हैं ये अभिनेत्री?

जानें कौन हैं ये Actress?


82 वर्षीय बॉलीवुड अभिनेत्री की हनुमान चालीसा का पाठ करने की कहानी
Asha Parekh


1970 और 80 के दशक में अपनी अदाकारी के लिए जानी जाने वाली आशा पारेख एक समय बॉलीवुड की प्रमुख हस्ती थीं। उन्होंने विभिन्न प्रकार के किरदार निभाए हैं। उनका जन्म 27 मई 1956 को एक मुस्लिम परिवार में हुआ था, और उनका असली नाम नसीबा सुल्तान था, जिसे बाद में उन्होंने बदलकर आशा सचदेव रख लिया।


धर्म परिवर्तन की कहानी

इस वजह से बदला धर्म


तलाक के बाद, आशा और उनकी छोटी बहन अपनी मां के साथ रहने लगीं, जबकि उनका भाई अपने पिता के पास रहा। उनकी मां ने बाद में एक वकील से शादी की, जिसके बाद नसीबा का नाम बदलकर आशा सचदेव रखा गया।


आशा को अभिनय का शौक अपनी मां से मिला, और उन्होंने पुणे में भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में दाखिला लिया।


हनुमान चालीसा का पाठ करने का कारण

हनुमान चालीसा का पाठ क्यों किया?


एक साक्षात्कार में, आशा पारेख ने बताया कि उनकी मां आध्यात्मिक थीं और साईं बाबा की भक्त थीं। एक बार उनकी मां को गंभीर बीमारी हो गई थी, लेकिन प्रार्थना के बाद वे जल्दी ठीक हो गईं। इस अनुभव ने उनकी आस्था को और मजबूत किया। आशा ने कहा कि वे ताबीज नहीं पहनतीं, लेकिन भगवान में विश्वास करती हैं और नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करती हैं।