70 वर्षीय महिला ने जिम में तीन व्यायाम करके गठिया को हराया

70 वर्षीय रोशनी देवी ने जिम में नियमितता से तीन व्यायाम करके गठिया को मात दी है। उनकी प्रेरणादायक यात्रा ने साबित किया है कि उम्र केवल एक संख्या है। जानें कैसे उन्होंने अपने दर्द को ताकत में बदला और अब वे बिना दर्द के चलने और अपने पोतों के साथ खेलने में सक्षम हैं। उनकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि नियमितता और सही तकनीक से हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
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70 वर्षीय महिला ने जिम में तीन व्यायाम करके गठिया को हराया

गठिया से जूझती रोशनी देवी की प्रेरणादायक कहानी

70 वर्षीय महिला ने जिम में तीन व्यायाम करके गठिया को हराया!


70 वर्ष की आयु में, जहां अधिकांश लोग घुटनों के दर्द के कारण सहारे की तलाश करते हैं, वहीं रोशनी देवी ने इस समस्या को अपनी ताकत में बदल दिया। जब दोनों घुटनों में आर्थराइटिस के कारण चलना मुश्किल हो गया, तो उन्होंने एक अनोखा रास्ता चुना - जिम।


68 वर्ष की उम्र में, उन्होंने अपने बेटे के कहने पर पहली बार जिम में कदम रखा। शुरुआत में न तो उनके पास ताकत थी और न ही आत्मविश्वास। लेकिन आज, दो साल बाद, वह प्रतिदिन 60 किलो डेडलिफ्ट, 40 किलो स्क्वाट और 100 किलो लेग प्रेस करती हैं। उनकी कहानी उम्र को मात देने की नहीं, बल्कि जीवन को फिर से जीने की प्रेरणा है।


शुरुआत में संघर्ष का सामना करना पड़ा, ताकत बाद में आई। लोगों का मानना है कि बुजुर्गों के लिए जिम खतरनाक हो सकता है, खासकर जब उन्हें आर्थराइटिस हो। लेकिन रोशनी देवी की जिम यात्रा वजन उठाने से नहीं, बल्कि सही तकनीक सीखने से शुरू हुई। पहले दिन ट्रेडमिल पर चलना भी कठिन था, लेकिन धीरे-धीरे उनकी चाल में सुधार हुआ, जोड़ों की अकड़न कम हुई और आत्मविश्वास बढ़ा।


डॉक्टरों के अनुसार, मांसपेशियों और हड्डियों की ताकत बढ़ाने के लिए वजन उठाना बेहद प्रभावी है, चाहे उम्र कितनी भी हो। घुटनों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने से जोड़ पर दबाव कम होता है। यही कारण है कि रोशनी देवी के लिए भारी वजन उठाना दर्द को बढ़ाने के बजाय राहत देने वाला साबित हुआ।


इस बदलाव का सबसे बड़ा कारण नियमितता थी। चाहे मौसम कैसा भी हो, रोशनी देवी कभी जिम जाना नहीं छोड़तीं। यही अनुशासन उनकी ताकत बना और उनके शरीर ने दर्द को सहने के बजाय दूर करना सीख लिया। अब लोग उन्हें 'वेटलिफ्टर मम्मी' कहकर पुकारते हैं। लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि अब वह दर्द के बिना चल सकती हैं, पोतों के साथ खेल सकती हैं और पहले से कहीं अधिक युवा महसूस करती हैं।