2025 की बेहतरीन फिल्मों ने दर्शकों को किया प्रभावित

2025 में कई फिल्मों ने दर्शकों को प्रभावित किया, जिनमें 'छावा' और 'धुरंधर' जैसी ब्लॉकबस्टर शामिल हैं। हालांकि, कुछ कम चर्चित फिल्में भी थीं, जिन्होंने सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। 'धड़क-2', 'फुले', और 'होमबाउंड' जैसी फिल्मों ने जाति भेद और हाशिए पर जीने वालों की कहानियों को प्रमुखता से प्रस्तुत किया। इस लेख में हम इन फिल्मों की चर्चा करेंगे और देखेंगे कि कैसे उन्होंने दर्शकों की चेतना को प्रभावित किया।
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2025 की प्रमुख फिल्में

विकी कौशल की फिल्म 'छावा' ने 2025 में एक बड़ी सफलता हासिल की, जबकि रणवीर सिंह और अक्षय खन्ना की 'धुरंधर' ने भी दर्शकों का ध्यान खींचा। 'छावा' ने विश्व स्तर पर 800 करोड़ से अधिक की कमाई की, जबकि 'धुरंधर' ने 1000 करोड़ का आंकड़ा पार किया। लक्ष्मण उत्तेकर ने 'छावा' में मुग़ल सम्राट औरंगजेब की क्रूरता और छत्रपति संभाजी महाराज की यातनाओं को दर्शाया, वहीं आदित्य धर ने 'धुरंधर' में पाकिस्तान के आतंकवादी साजिशों का पर्दाफाश किया। इन दोनों फिल्मों को लेकर एक वर्ग ने उत्साह दिखाया, जबकि दूसरे ने इन्हें प्रोपेगेंडा करार दिया। लेकिन, विडंबना यह है कि 2025 की अन्य फिल्मों पर ध्यान नहीं दिया गया, जो कंटेंट, इमोशन और सामाजिक मूल्य पर केंद्रित थीं।


गुड सिनेमा की अनदेखी

भारतीय सिनेमा की मूल बातें हैं - प्यार बांटने का संदेश। मोहित सूरी की 'सैयारा' में भी प्रेम का यही संदेश था। लेकिन 2025 में ऐसी कई फिल्में आईं, जिनकी आवाज़ बड़े प्रचार के शोर में दब गई। ये फिल्में सामाजिक मुद्दों पर आधारित थीं, लेकिन कुछ को रुकावटों का सामना करना पड़ा और कुछ को नजरअंदाज किया गया।


समाज के हाशिए पर जीने वालों की कहानियाँ

'धड़क-2' ने जाति भेद पर प्रहार किया। करण जौहर द्वारा निर्मित इस फिल्म में तृप्ति डिमरी और सिद्धांत चतुर्वेदी ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। इसी तरह, 'फुले' और 'होमबाउंड' ने समाज के हाशिए पर जीने वालों की कहानियों को प्रमुखता से प्रस्तुत किया। 'फुले' में ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले के संघर्ष को दर्शाया गया।


होमबाउंड की ऑस्कर में उम्मीद

नीरज घायवान की 'होमबाउंड' ने कोविड के दौरान दो युवकों के संघर्ष को गहराई से दिखाया। यह फिल्म भारत की ओर से ऑस्कर में भेजी गई है। इसमें जान्हवी कपूर, विशाल जेठवा और ईशान खट्टर ने अभिनय किया।


किसानों की दास्तान

सुभाष कपूर की 'जॉली एलएलबी 3' ने किसानों की दर्दनाक कहानी को प्रस्तुत किया। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक उद्योगपति स्थानीय प्रशासन की मदद से किसान की जमीन पर कब्जा कर लेता है।


प्रोपेगेंडा पर विवाद

2025 में कुछ फिल्मों पर प्रोपेगेंडा का आरोप लगा, जैसे 'दी बंगाल फाइल्स' और 'दी ताज स्टोरी'। लेकिन दर्शकों ने केवल 'छावा' और 'धुरंधर' को ही ब्लॉकबस्टर बनाया, जबकि अन्य प्रोपेगेंडा वाली फिल्में असफल रहीं।