20 साल के करियर में बनी मैं हर किरदार की मास्टर: रेजिना कैसेंड्रा

मुंबई, 18 अगस्त (आईएएनएस)। 'जाट', 'साकिनी-डाकिनी' और 'केसरी चैप्टर-2' में अभिनय करने वाली रेजिना कैसेंड्रा ने इंडस्ट्री में गुजारे 20 साल को बेहतरीन बताया है। उनके मुताबिक सफर देखने में जितना हसीन है, दरअसल, वैसा था नहीं। इसी साल उनकी दो बड़ी फिल्में केसरी-चैप्टर टू और जाट, रिलीज हुईं। दोनों ही किरदार एक दूजे से एकदम जुदा। एक्ट्रेस के अंदाज को इंडस्ट्री के नामदार पसंद करने लगे हैं। अपने इस सफर को लेकर साउथ ब्यूटी कैसेंड्रा ने आईएएनएस से बात की।
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20 साल के करियर में बनी मैं हर किरदार की मास्टर: रेजिना कैसेंड्रा

मुंबई, 18 अगस्त (आईएएनएस)। 'जाट', 'साकिनी-डाकिनी' और 'केसरी चैप्टर-2' में अभिनय करने वाली रेजिना कैसेंड्रा ने इंडस्ट्री में गुजारे 20 साल को बेहतरीन बताया है। उनके मुताबिक सफर देखने में जितना हसीन है, दरअसल, वैसा था नहीं। इसी साल उनकी दो बड़ी फिल्में केसरी-चैप्टर टू और जाट, रिलीज हुईं। दोनों ही किरदार एक दूजे से एकदम जुदा। एक्ट्रेस के अंदाज को इंडस्ट्री के नामदार पसंद करने लगे हैं। अपने इस सफर को लेकर साउथ ब्यूटी कैसेंड्रा ने आईएएनएस से बात की।

अभिनेत्री ने बताया कि उन्हें अलग-अलग भाषाओं में काम करने के खूबसूरत मौके मिले। बोलीं, "मेरा सिने सफर काफी शानदार रहा है। मुझे अलग-अलग भाषाओं में काम करने के मौके मिले हैं, इसके लिए मैं खुद को खुशकिस्मत मानती हूं। अब, जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं, तो मुझे खुशी होती है। लेकिन मेरे लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। कई बार मुझे खुद पर शक होता था कि मैं खुद को और दूसरों की उम्मीदों पर खरी भी उतर पाऊंगी कि नहीं। क्योंकि तब मैं बहुत छोटी थी, इसलिए मेरे लिए चीजें बिल्कुल अलग थीं।"

अभिनेत्री ने बताया कि कई समय तक उन्हें ये लगता रहा था कि काश उनका कोई मेंटर होता, लेकिन फिर उन्होंने खुद ही हर चीज सीखी और अपने अनुभवों से आगे बढ़ीं।

रेजिना ने कहा, "आज मैं अपने इस सफर के लिए बहुत आभारी हूं, जो मैं आज हूं। मेरे काम और उससे मिली चुनौतियों ने मुझे बेहतर इंसान बनाया। मैं हमेशा से एक ऐसी अभिनेत्री बनना चाहती थी जो हर तरह का किरदार निभा सके—चाहे वह 'गर्ल नेक्स्ट डोर' (पड़ोस की सीधी लड़की), भोली-भाली, साइको, ड्रग एडिक्ट, लेस्बियन गर्ल, या कोई और। मैं हर किरदार निभाना चाहती हूं। मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे किसी एक तरह के रोल में बांधा नहीं गया, और इसी वजह से मैं खुद को और बेहतर कलाकार बना पाई हूं।"

सवाल कि, "वह खुद को कैसे परिभाषित करेंगी?" पर उन्होंने कहा, "इस पागलपन में भी एक तरीका होता है, बस आपको उसके साथ चलते चले जाना होता है।"

उन्होंने आगे कहा, "ये सब इस पर भी निर्भर करता है कि प्रोजेक्ट और सेटअप कैसा है। वहां का माहौल शांत है या फिर बहुत उलझा हुआ है। आप इसे सिर्फ भाषा के आधार पर नहीं बांट सकते। हालांकि, साउथ के डायरेक्टर्स ज्यादातर रिलेटेबल स्टोरी बनाना पसंद करते हैं। बॉलीवुड में अभिनेताओं को स्टार बनाने पर ज्यादा फोकस किया जाता है।"

--आईएएनएस

एनएस/केआर