1942: A Love Story का संगीत और लता जी की अनकही कहानी

संगीत की महत्ता
15 जुलाई 1994 को रिलीज़ हुई विदू विनोद चोपड़ा की फिल्म 1942: A Love Story की सफलता में एक महत्वपूर्ण कारक इसका अमर संगीत था, जिसे राहुल देव बर्मन ने तैयार किया था। Pyar hua chupke se से लेकर Kuch na kaho तक, हर गाना संगीत प्रेमियों के दिलों में बसा हुआ है।
कुच ना कहो का महत्व
अगर राहुल देव बर्मन का अंतिम गाना Kuch na kaho kuch bhi na kaho आज भी याद किया जाता है, तो इसका श्रेय इस प्रतिभाशाली संगीतकार की स्थायी छवि को जाता है, न कि फिल्म 1942: A Love Story की किसी विशेषता को।
लता जी का योगदान
लता मंगेशकर और कुमार सानू द्वारा गाए गए इस गाने के दो संस्करणों में लता जी का संस्करण अधिक प्रसिद्ध हुआ। इस गाने को पहले कविता कृष्णामूर्ति की आवाज में रिकॉर्ड किया गया था, लेकिन लता जी ने इसे फिर से गाया। क्या लता जी को इस गाने के इतिहास का पता था? उन्होंने कहा, 'मुझे केवल वही पता था जो पंचम (आर.डी. बर्मन) ने मुझे बताया।'
रिकॉर्डिंग की यादें
एक संगीतकार ने याद किया, 'विनोद चोपड़ा चाहते थे कि यह गाना लता जी गाएं। पंचम दा ने भी इस पर सहमति दी थी। लेकिन रिकॉर्डिंग से पहले पंचम दा का निधन हो गया। हम सभी उत्साहित थे।' लता जी ने अंततः कहा, 'अब रहने दीजिए। हो गया।' और वह वहां से चली गईं।
कविता कृष्णामूर्ति की प्रतिक्रिया
कविता ने कई साल पहले मुझसे कहा था, 'लता जी को सम्मान देते हुए, मेरा गाना कुछ और था।' लेकिन मैंने दोनों संस्करण सुने हैं और तुलना नहीं की जा सकती।