होली के गीतों में जोगीरा सा रा रा रा का महत्व
होली के गीतों की विशेषता
होली के गीतों में जोश और उमंग की भरपूरता होती है। चाहे वे फिल्मी हों या पारंपरिक, इनमें अक्सर जोगीरा सा रा रा रा… की धुन सुनाई देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका असली अर्थ क्या है? यह टेक कहां से आया और इसकी परंपरा का क्या इतिहास है? होली के दिन, चाहे गांव हो या शहर, जब हुल्लड़बाज टोली द्वार-द्वार जाकर गीत गाती है, तो जोगीरा सा रा रा रा की धुन कैसे बन जाती है? यह टेक सुनकर लोगों में उत्साह और जोश कैसे जागृत होता है? यह सब जानने के लिए आगे पढ़ें।
जोगीरा का इतिहास
अगर आप गांव से नहीं हैं, तो भी आपने फिल्मी गानों में जोगीरा सा रा रा रा… जरूर सुना होगा। अस्सी के दशक में राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म 'नदिया के पार' में इस टेक का उपयोग हुआ था। इस गाने में जोगी जी ढूंढ़ के ला दो… की धुन पर सचिन और साधना सिंह ने नृत्य किया था। यह गीत पूरे भारत में लोकप्रिय हुआ। इस गाने में बार-बार जोगी जी शब्द का प्रयोग एक टेक के रूप में किया गया है।
जोगीरा का सांस्कृतिक महत्व
जोगीरा सा रा रा रा… वास्तव में ग्रामीण होली गीतों का एक महत्वपूर्ण टेक है। टेक का अर्थ है किसी गीत की पंक्ति के अंत में एक शब्द की पुनरावृत्ति। यह परंपरा सदियों पुरानी है। जोगीरा या जोगी जी का अर्थ केवल मस्ती नहीं है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और दार्शनिक पक्ष भी है।
जोगी परंपरा का आनंद
जोगीरा शब्द जोगी से निकला है, जो सांसारिक मोह से मुक्त व्यक्ति को दर्शाता है। होली के दौरान, जब टोली गाती है, तो लोग जोगी की तरह मस्त और मगन होते हैं। होली का असली आनंद इसी में है कि लोग रंगों में डूबकर सब कुछ भूल जाते हैं।
समसामयिक बदलाव
समय के साथ, होली के गीतों में बदलाव आया है। अब इनमें समसामयिक तंज भी शामिल होते हैं। होली एक ऐसा त्योहार है जहां लोग अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करते हैं। इस दिन हास्य-व्यंग्य की परंपरा भी शुरू होती है।
सामूहिक होली का आनंद
उत्तर भारत के गांवों में आज भी सामूहिक होली खेलने की परंपरा है। चौक-चौराहे पर ढपली की थाप पर लोकधुनों के गीत गाए जाते हैं। होली की टोली द्वार-द्वार जाकर पकवानों का आनंद लेती है।
जोगीरा का सवाल-जवाब
भोजपुरी, अवधि और ब्रज में होली के लोकगीतों में सवाल-जवाब का एक रोचक अंदाज होता है। गिरमिटिया मजदूर भी इसे गाते हैं और अपनी परंपरा को जीवित रखते हैं।