महिला पत्रकारों की प्रेरणादायक कहानियाँ: श्रावणी सरकार और दीप्ति चौरसिया

महिला पत्रकारिता की दुनिया में श्रावणी सरकार और दीप्ति चौरसिया की कहानियाँ प्रेरणा का स्रोत हैं। श्रावणी ने अपने संघर्ष से पत्रकारिता में नाम कमाया, जबकि दीप्ति ने 25 वर्षों में कई चुनौतियों का सामना किया। जानें कैसे इन महिलाओं ने अपने करियर में सफलता हासिल की और साबित किया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं।
 | 

महिला पत्रकारिता का सफर

महिला पत्रकारों की प्रेरणादायक कहानियाँ: श्रावणी सरकार और दीप्ति चौरसिया


महिला दिवस विशेष: भोपाल। पत्रकारिता को लंबे समय तक पुरुषों का क्षेत्र माना जाता रहा है, लेकिन महिलाओं ने इस धारणा को तोड़कर अपनी पहचान बनाई है। आज हम आपको एक ऐसी महिला पत्रकार की कहानी बताएंगे, जिसने अपने संघर्ष से न केवल पत्रकारिता में नाम कमाया, बल्कि कई सरकारों को भी चुनौती दी। हम बात कर रहे हैं श्रावणी सरकार की। आइए जानते हैं उनके संघर्ष की कहानी।


श्रावणी सरकार का सफर

श्रावणी सरकार, जो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की एक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ने पिछले तीन दशकों में पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। श्रावणी बताती हैं, "मेरे परिवार में मैं पहली महिला हूँ जो इस क्षेत्र में आई हूँ।" उनके लिए यह यात्रा आसान नहीं रही। पहले उनका सपना UPSC परीक्षा पास करने का था, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता की ओर रुख किया।


श्रावणी कहती हैं, "मैं बायचांस पत्रकार बन गई।" हालांकि, उनका पत्रकारिता के प्रति लगाव पहले से था। शुरुआत में उनकी अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ थी, जिसके चलते उनके दोस्तों ने उन्हें लोकमत टाइम्स में लेख लिखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने नागपुर के लोकमत टाइम्स में एक प्रशिक्षु के रूप में काम करना शुरू किया।


कठिनाइयों का सामना

यहां से उनकी पत्रकारिता की यात्रा शुरू हुई। श्रावणी ने लोकमत टाइम्स में पत्रकारिता के दांवपेंच सीखे, लेकिन इस दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। रिपोर्टिंग के दौरान देर रात तक बाहर रहना पड़ता था, जिसे उनके पिता पसंद नहीं करते थे। इस चिंता को देखते हुए, श्रावणी ने नागपुर छोड़कर रायपुर में हिंदुस्तान टाइम्स में काम करना शुरू किया।


उनके पिता को यह डर था कि उनकी बेटी देर रात अकेले स्कूटी से कैसे घर वापस आएगी। इस चिंता को दूर करने के लिए श्रावणी ने 2004 में एक कार खरीदी और उसे चलाना सीख लिया। श्रावणी कहती हैं, "मैंने कार इस रीजन से भी खरीदी क्योंकि मेरे कलीग मुझे छोड़ने जाते थे।"


स्वतंत्रता और आत्मविश्वास

पत्रकार श्रावणी सरकार


श्रावणी की यह कोशिश केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए नहीं थी, बल्कि यह उनके आत्मविश्वास और स्वतंत्रता की भी कहानी है। उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स में काम करते हुए हमेशा पुरुषों से अधिक मेहनत की। इसके बाद वे DB Digital में डिप्टी एडिटर बनीं और 2019 से 2024 तक 'द वीक' के साथ जुड़ीं।


श्रावणी ने कभी शादी नहीं की, और उनका मानना है कि शादी न करने से उनका करियर सरल हो गया। वे कहती हैं, "पत्रकारिता में मुझे केवल अपनी जिम्मेदारी थी, किसी पति, बच्चों या परिवार की नहीं।"


दीप्ति चौरसिया की कहानी

भोपाल की महिला रिपोर्टर दीप्ति चौरसिया


अब हम बात करते हैं दीप्ति चौरसिया की, जिन्होंने पत्रकारिता में अपनी मेहनत और संघर्ष से नाम कमाया है। दीप्ति मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा से हैं और उनके पास पत्रकारिता में 25 साल का अनुभव है।


दीप्ति ने अपनी पत्रकारिता की शिक्षा 1997-98 में IIMC, नई दिल्ली से प्राप्त की। उन्होंने छोटे-छोटे जॉब्स से अपने करियर की शुरुआत की और 2001 में भोपाल आकर ETV MP के साथ रिपोर्टिंग शुरू की।


चुनौतियों का सामना

दीप्ति का कहना है, "इस पूरे दौर में कई चुनौतियां आईं, लेकिन मेरे परिवार और पति ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया।" उन्होंने बताया कि उस समय संसाधनों की कमी थी, और समय पर पहुंचने की मुश्किलें थीं।


दीप्ति ने अपनी मेहनत और समर्पण से यह साबित किया कि पत्रकारिता एक डे टू डे जर्नी है, जिसमें कभी हार होती है तो कभी जीत।


महिलाओं की प्रेरणा

श्रावणी सरकार और दीप्ति चौरसिया की कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि जब किसी महिला के भीतर अपने सपनों को पूरा करने की चाहत हो, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती। चाहे वे पत्रकारिता के क्षेत्र में हों या किसी और पेशे में, अगर हम मेहनत और दृढ़ निश्चय के साथ अपने रास्ते पर चलते हैं, तो सफलता जरूर मिलती है।