भारत में रूसी शराब का बढ़ता क्रेज: 520 टन का निर्यात

भारत में शराब के दीवानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, खासकर रूसी शराब के प्रति। हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के पहले 10 महीनों में भारत में 520 टन रूसी स्पिरिट का आयात हुआ है, जो पिछले वर्ष की तुलना में चार गुना अधिक है। इस वृद्धि के पीछे मुख्य कारण वोदका का निर्यात है। जानें इस बढ़ते ट्रेंड के बारे में और भी जानकारी।
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भारत में शराब प्रेमियों की बढ़ती संख्या

भारत में शराब के शौकीनों की कोई कमी नहीं है। देश में कई देशों की प्रसिद्ध शराबें आयात की जाती हैं, जिन्हें लोग बेहद पसंद करते हैं। हाल ही में, भारतीय बाजार में रूसी शराब के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2025 के पहले 10 महीनों में भारत में 520 टन व्हिस्की, जिन, वोदका और अन्य उत्पादों का आयात हुआ है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग चार गुना अधिक है।


रूसी मीडिया की रिपोर्ट

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष के पहले 10 महीनों में भारत में रूसी स्पिरिट का निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग चार गुना बढ़ गया है। इससे भारत रूसी निर्यातकों के लिए एक उभरता हुआ और आकर्षक बाजार बन गया है। रूसी कृषि मंत्रालय के संघीय कृषि निर्यात विकास केंद्र (एग्रोएक्सपोर्ट) के आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख वित्तीय और व्यापारिक समाचार पत्र ने बताया कि भारत वोदका और अन्य मादक पेय पदार्थों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन रहा है।


रूसी शराब का निर्यात में इजाफा

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 के पहले 10 महीनों में, रूसी स्पिरिट उत्पादकों ने भारत को लगभग 520 टन स्पिरिट (जिनमें वोदका, जिन, व्हिस्की और लिकर शामिल हैं) का निर्यात किया, जिसकी कुल कीमत 900,000 अमेरिकी डॉलर थी। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में वजन के हिसाब से तीन गुना और मौद्रिक दृष्टि से चार गुना अधिक है। एग्रोएक्सपोर्ट का कहना है कि निर्यात का मुख्य कारण वोदका रहा है, जिसका निर्यात मूल्य लगभग 760,000 अमेरिकी डॉलर रहा।


भारत की हिस्सेदारी

हालांकि जनवरी से अक्टूबर तक रूसी शराब के सबसे बड़े आयातकों में भारत का स्थान 14वां था, लेकिन टन के हिसाब से इसकी हिस्सेदारी 1.3 फीसदी और राजस्व के हिसाब से 1.4-1.5 फीसदी रही। फिर भी, रूस को निर्यात की वृद्धि दर में सबसे अधिक लाभ मिला है। अन्य प्रमुख आयातकों में कजाकिस्तान, जॉर्जिया, चीन, अजरबैजान, आर्मेनिया और बेलारूस शामिल हैं।