प्रदोष व्रत 2025: भगवान शिव की पूजा का महत्व और विधि
प्रदोष व्रत का महत्व
Bhaum Pradosh Vrat 2025: हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत के दौरान व्रत रखने के साथ-साथ व्रत पारण का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत का पारण करने से पहले कुछ विशेष कार्य करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है, और सभी समस्याएं दूर होती हैं।
प्रदोष व्रत का पारण करने से पहले शाम को एक बार फिर भगवान शिव की पूजा करें और उन्हें फल, फूल, मिठाई और अपनी पसंदीदा मिठाई का भोग अर्पित करें। भगवान शिव की आरती करें और उनसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें। व्रत पारण से पहले, कुछ समय भगवान शिव का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें, साथ ही उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें।
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 मार्च को सुबह 8:13 बजे शुरू होगी और 12 मार्च को सुबह 9:11 बजे समाप्त होगी। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6:47 बजे से शुरू होगा और रात 9:11 बजे समाप्त होगा।
प्रदोष व्रत पारण विधि
- प्रदोष व्रत का पारण त्रयोदशी तिथि समाप्त होने के बाद किया जाता है।
- व्रत पारण के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- घर के मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- भगवान शिव को फल, फूल, मिठाई और अपनी पसंदीदा मिठाई का भोग लगाएं।
- भगवान शिव की आरती करें और उनसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
- इसके बाद, आप व्रत का पारण कर सकते हैं।
- व्रत पारण में आप फल, दूध, दही, साबूदाना खिचड़ी या अपनी पसंद का कोई भी सात्विक भोजन कर सकते हैं।
- व्रत पारण के बाद, गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
प्रदोष व्रत पारण का महत्व
प्रदोष व्रत का सही विधि से पारण करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। व्रत पारण करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। प्रदोष व्रत का पारण करते समय, मन को शांत रखें और भगवान शिव का ध्यान करें। व्रत पारण के बाद, किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचारों से बचें और प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की कथा अवश्य सुनें। अपने परिवार के साथ मिलकर भगवान शिव की आरती करें और उन्हें प्रसन्न करें.