जावेद हुसैन: असफलताओं से लड़कर बने IAS अधिकारी

मो. जावेद हुसैन की कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है, जिसमें उन्होंने कई असफलताओं का सामना किया और अंततः IAS बनने का सपना पूरा किया। झारखंड के एक छोटे कस्बे से निकलकर, उन्होंने अपने संघर्ष और दृढ़ संकल्प से सफलता हासिल की। जानें उनके प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, नौकरी और प्रशासनिक करियर के बारे में, और कैसे उन्होंने युवाओं के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरे।
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जावेद हुसैन की प्रेरणादायक कहानी

जावेद हुसैन: असफलताओं से लड़कर बने IAS अधिकारी

IAS जावेद हुसैन.

क्या सफलता केवल भाग्य पर निर्भर करती है या मेहनत पर? यह प्रश्न हर महत्वाकांक्षी व्यक्ति के मन में उठता है। झारखंड के एक छोटे कस्बे से IAS बनने वाले मो. जावेद हुसैन की कहानी इस सवाल का उत्तर देती है। यह केवल एक यात्रा नहीं है, बल्कि दृढ़ संकल्प, संघर्ष और मेहनत की एक प्रेरणादायक मिसाल है।

उनकी कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो असफलताओं से डरकर अपने सपनों को छोड़ देते हैं। पलामू के नगर आयुक्त मो. जावेद हुसैन ने कई बार असफलताओं का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। अंततः, उन्होंने अपने सपने को साकार कर दिखाया। आइए, उनके अद्भुत सफर के बारे में जानते हैं।


शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

शुरुआती जीवन और शिक्षा

मो. जावेद हुसैन झारखंड के कोडरमा जिले के एक छोटे कस्बे से हैं। उनके पिता वन विभाग में हेड क्लर्क के पद से रिटायर हुए हैं, जबकि उनकी मां गृहिणी हैं। उन्होंने बचपन में IAS बनने का सपना देखा था, लेकिन इसकी तैयारी में समय लगा। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सीबीएसई बोर्ड से पूरी की और मैट्रिक की परीक्षा में जिला टॉप किया।

इसके बाद, उन्होंने बोकारो में 12वीं कक्षा अच्छे अंकों से पास की। उच्च शिक्षा के लिए उन्हें भोपाल के एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला मिला, जहाँ से उन्होंने ग्रेजुएशन किया।


नौकरी और तैयारी का सफर

नौकरी और आगे की तैयारी

इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्हें इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में नौकरी मिली, लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने गेट परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली जाने का निर्णय लिया और तीन बार प्रयास किया। 2013 में, उन्हें गेट परीक्षा में 123वीं रैंक और इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेस में 24वीं रैंक प्राप्त हुई, जिसके बाद उन्होंने रेलवे में इंजीनियर के रूप में नौकरी जॉइन की।


संघर्ष और सफलता

संघर्षों भरा सफर

उनका सपना IAS बनना था, इसलिए उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देने का निर्णय लिया। 2014 में, उन्होंने पहली बार UPSC परीक्षा दी और इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन कुछ अंकों से असफल हो गए। इस असफलता ने उन्हें यह सिखाया कि सही रणनीति से परीक्षा पास की जा सकती है। हालांकि, नौकरी के साथ तैयारी करना कठिन हो रहा था।

दूसरे प्रयास में, वह प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर सके, जिससे वह बहुत निराश हुए। तीसरे प्रयास में, वह फिर से इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन चयन नहीं हुआ। चौथे प्रयास में भी प्रीलिम्स परीक्षा में असफल रहे। यह उनके जीवन का सबसे कठिन समय था।


सफलता की कहानी

आखिरकार मिली सफलता

लगातार चार बार असफल होने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी गलतियों को सुधारते हुए, उन्होंने एक नई रणनीति बनाई और 2018 में UPSC परीक्षा में सफलता प्राप्त की। 2019 बैच के IAS अधिकारी बने और उन्हें 280वीं रैंक मिली। यह उनके लिए एक भावुक क्षण था, क्योंकि उनका बचपन का सपना पूरा हो गया था।


प्रशासनिक करियर

प्रशासनिक सफर

IAS बनने के बाद, उन्होंने लबासना में ट्रेनिंग की। उनकी पहली फील्ड पोस्टिंग चाईबासा में हुई। उनकी पहली स्वतंत्र जिम्मेदारी रामगढ़ में एसडीएम के रूप में मिली, जहाँ उन्होंने लगभग दो साल तक सेवा दी। फिर उनकी पोस्टिंग पलामू के मेदिनीनगर नगर निगम में नगर आयुक्त के रूप में हुई।


युवाओं के लिए संदेश

संदेश युवाओं के लिए

मो. जावेद हुसैन का कहना है कि सफलता समर्पण की मांग करती है। यदि आप पूरी ईमानदारी और मेहनत से किसी लक्ष्य की तैयारी करते हैं, तो निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। असफलता से डरने के बजाय, उससे सीखना चाहिए। बार-बार असफल होने के बावजूद हार न मानें, क्योंकि अंततः मेहनत रंग लाती है।

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