सितंबर में GST संग्रह में वृद्धि, सरकार ने जारी किए आंकड़े
GST संग्रह की नई जानकारी
भारत के वित्त मंत्रालय ने बुधवार को जानकारी दी कि सितंबर में जीएसटी संग्रह ₹1.89 लाख करोड़ रहा, जबकि पिछले वर्ष इसी महीने में यह ₹1.73 लाख करोड़ था। यह लगातार दूसरा महीना है जब जीएसटी की आमदनी ₹1.85 लाख करोड़ से अधिक रही। अगस्त में यह ₹1.86 लाख करोड़ था, जो सालाना आधार पर 6.5% की वृद्धि दर्शाता है.
छह महीनों में GST से 12.1 लाख करोड़ की प्राप्ति
अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच देश का कुल जीएसटी संग्रह 12.1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 9.8% अधिक है। यह राशि वित्त वर्ष 2024 के कुल जीएसटी संग्रह का लगभग आधा हिस्सा है। नेट जीएसटी राजस्व, जो टैक्स में से कुछ कटौती के बाद बचता है, इस छह महीने में ₹10.4 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.8% अधिक है। इससे सरकार के खजाने में मजबूती आई है.
IGST संग्रह में नया रिकॉर्ड
एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) का संग्रह इस साल पहली बार ₹1 लाख करोड़ के पार पहुंच गया। सितंबर में IGST की कमाई ₹1,01,883 करोड़ रही, जो जनवरी 2025 में बनाए गए रिकॉर्ड ₹1,01,075 करोड़ से अधिक है। यह दर्शाता है कि देश के भीतर व्यापार और वस्तुओं के आदान-प्रदान में तेजी आई है.
सेस संग्रह में कमी
हालांकि, सेस की कमाई इस साल थोड़ी कम हुई है। अप्रैल से सितंबर के बीच सेस संग्रह में गिरावट आई है, जो अप्रैल में ₹13,451 करोड़ से घटकर सितंबर में ₹11,652 करोड़ रह गया। यह महीनों के बीच लगातार घट रहा है, लेकिन कुल जीएसटी संग्रह पर इसका बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है.
त्योहारों के दौरान GST राजस्व में वृद्धि
अगस्त और सितंबर के त्योहारों के मौसम में जीएसटी संग्रह ₹3.8 लाख करोड़ हो गया। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 7.8% अधिक है, जो देश की आर्थिक मजबूती का संकेत है। त्योहारों के कारण बाजारों में खरीदारी बढ़ी, जिससे सरकार को अधिक टैक्स प्राप्त हुआ.
GST स्लैब में महत्वपूर्ण परिवर्तन
सितंबर की शुरुआत में जीएसटी परिषद ने कर प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। पहले चार अलग-अलग कर स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) थे, जिन्हें अब केवल दो मुख्य स्लैबों 5% और 18% में बदल दिया गया है। इसके अलावा, सिन और लग्जरी वस्तुओं पर 40% टैक्स लगाया गया है। 22 सितंबर से लागू हुए इस बदलाव का उद्देश्य टैक्स सिस्टम को सरल बनाना, कारोबारियों के लिए टैक्स भरना आसान करना और आम उपभोक्ताओं को राहत देना है.