विदेशी निवेशकों का मई में ऐतिहासिक निवेश, भारतीय शेयर बाजार में विश्वास बढ़ा

विदेशी निवेशकों का निवेश
साल 2025 में विदेशी निवेशकों ने अपने निवेश को वापस लेना शुरू किया था, और दो महीने पहले यह आंकड़ा 1.20 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया था। हालांकि, अप्रैल और मई में उन्होंने फिर से शेयर बाजार में निवेश करना आरंभ किया। खास बात यह है कि मई में विदेशी निवेशकों ने एक महत्वपूर्ण रिकॉर्ड स्थापित किया है। पिछले एक दशक में, मई 2025 में विदेशी निवेशकों का यह दूसरा सबसे बड़ा निवेश है। इससे पहले, 2023 में एफपीआई ने 43 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया था। इस बार डेट मार्केट में भी लगातार दूसरे महीने सकारात्मक रुझान देखने को मिला है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजार में विश्वास बनाए रखा है। अनुकूल आर्थिक संकेतकों और मजबूत घरेलू बुनियाद के कारण, एफपीआई ने मई में भारतीय शेयरों में 19,860 करोड़ रुपए का निवेश किया। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में एफपीआई का शुद्ध निवेश 4,223 करोड़ रुपए था। इससे पहले मार्च में उन्होंने 3,973 करोड़ रुपए, फरवरी में 34,574 करोड़ रुपए और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपए निकाले थे।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, मई में एफपीआई का शुद्ध निवेश 19,860 करोड़ रुपए रहा, जो पिछले दशक में मई के महीने में दूसरा सबसे बड़ा निवेश है। इस नए प्रवाह के साथ, 2025 में एफपीआई की निकासी का आंकड़ा 92,491 करोड़ रुपए रह गया है। अप्रैल में भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई की गतिविधियों में तेजी आई थी, जो मई में भी जारी रही, यह निवेशकों के नए विश्वास को दर्शाता है। समीक्षाधीन अवधि में, एफपीआई ने शेयरों के अलावा बॉंड में 19,615 करोड़ रुपए और स्वैच्छिक प्रतिधारण में 1,899 करोड़ रुपए का निवेश किया।
विशेषज्ञों की राय
जियोजीत इन्वेस्टमेंट के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई भारत में अपना निवेश जारी रखेंगे, हालांकि उच्च स्तर पर वे बिकवाली कर सकते हैं। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि मई में एफपीआई प्रवाह के कई कारण रहे हैं। वैश्विक स्तर पर, अमेरिकी मुद्रास्फीति में कमी और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों ने भारत जैसे उभरते बाजारों को और अधिक आकर्षक बना दिया है।
घरेलू स्तर पर, भारत की मजबूत जीडीपी वृद्धि, कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजे और नीतिगत सुधारों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है। विजयकुमार ने कहा कि डॉलर में गिरावट, अमेरिकी और चीनी अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती, जीडीपी की ऊंची वृद्धि, घटती मुद्रास्फीति और ब्याज दरें, जैसे कारक भारत के प्रति एफपीआई का आकर्षण बढ़ा रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में, एफपीआई ने मई के पहले पखवाड़े में वाहन, कलपुर्जा, दूरसंचार और वित्तीय क्षेत्र में निवेश किया है।