रेलवे स्टेशनों पर वेंडरों की मनमानी: यात्रियों की जेब पर बढ़ता बोझ

जयपुर जंक्शन और गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर वेंडरों की मनमानी से यात्रियों की जेब पर बोझ बढ़ रहा है। जीएसटी दरों में कमी के बावजूद पैक्ड आइटम्स पुराने दामों पर बिक रहे हैं। यात्रियों को जागरूक होने की आवश्यकता है ताकि वे ओवरचार्जिंग के खिलाफ आवाज उठा सकें। जानें इस समस्या के पीछे की सच्चाई और यात्रियों को क्या करना चाहिए।
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रेलवे स्टेशनों पर वेंडरों की मनमानी: यात्रियों की जेब पर बढ़ता बोझ

यात्रियों के लिए बढ़ती परेशानी

रेलवे स्टेशन पर पानी की बोतल खरीदते समय हर यात्री शायद सोचता है कि एक रुपए का क्या फर्क पड़ता है। लेकिन जब यह एक रुपए हजारों यात्रियों से वसूला जाता है, तो यह राशि लाखों में बदल जाती है। जयपुर जंक्शन और गांधीनगर स्टेशन पर वेंडरों की यह सोच अब यात्रियों के लिए बोझ बन चुकी है। जीएसटी दरों में कमी के बावजूद पैक्ड आइटम्स पुराने दामों पर बिक रहे हैं, और 'एक रुपए का फर्क' अब आम जनता की जेब से सीधा लाभ कमाने का साधन बन गया है।


मनमानी का आलम

जयपुर जंक्शन और गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर वेंडरों की मनमानी यात्रियों के लिए सिरदर्द बन गई है। सरकार द्वारा पैक्ड फूड आइटम्स पर जीएसटी दरें घटाने के बाद यात्रियों को राहत की उम्मीद थी, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल भिन्न है। आज भी स्टेशन के कई फूड स्टॉल्स पर पानी, बिस्कुट, और नमकीन जैसे पैक्ड सामान पुराने दामों पर ही बिक रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि वेंडर बार-बार यही सवाल पूछते हैं— 'एक रुपए में क्या फर्क पड़ता है?'


गांधीनगर स्टेशन पर स्थिति

गांधीनगर स्टेशन पर जांच के दौरान प्लेटफार्म नंबर-1 पर 14 रुपए की बोतल 15 रुपए में बेची जा रही थी। जब एक यात्री ने इसका विरोध किया, तो वेंडर ने लापरवाही से कहा, 'एक रुपए में कौन-सा नुकसान है?' इसी तरह प्लेटफार्म नंबर-2 पर भी ट्रेन रुकते ही वेंडर पुराने दामों पर सामान बेचते नजर आए। यात्रियों के विरोध करने पर उन्हें अनदेखा किया गया या फिर छुट्टे पैसे न होने का बहाना बनाया गया।


जयपुर जंक्शन की स्थिति

जयपुर जंक्शन पर भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। प्लेटफार्म नंबर-1 पर एक वेंडर ने 18.75 रुपए अंकित नमकीन पैकेट के लिए 20 रुपए वसूले। जब यात्री ने आपत्ति जताई, तो जवाब मिला— 'अब 25 पैसे कौन देता है?' कई स्टॉल्स पर बोतलों पर पुरानी और नई दोनों कीमतें छपी होने से यात्री उलझन में पड़ गए।


नई दरों का प्रभाव

रेलवे प्रशासन ने 22 सितंबर से लागू नई दरों का लाभ यात्रियों को देने की घोषणा की थी, लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव नजर नहीं आया। रोजाना लगभग एक लाख लोग जयपुर स्टेशन से गुजरते हैं। यदि हर यात्री से एक रुपए भी ज्यादा लिया जाए, तो यह राशि प्रतिदिन लाखों में पहुंच जाती है।


जागरूकता की आवश्यकता

यह सिर्फ एक रुपए का मामला नहीं है, बल्कि ईमानदारी और जागरूकता का भी है। ट्रेन पकड़ने की जल्दी में यात्री पैकिंग पर छपी कीमत नहीं देखते, और वेंडर इसी लापरवाही का फायदा उठाते हैं। यात्रियों को अब खुद जागरूक होना होगा— खरीदारी से पहले कीमत जरूर जांचें, और ओवरचार्जिंग होने पर तुरंत रेलवे हेल्पलाइन या सोशल मीडिया पर शिकायत करें।