रुपये की मजबूती की संभावनाएं: एसबीआई की रिपोर्ट में क्या कहा गया?

हाल ही में भारतीय रुपये में सुधार देखने को मिला है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में रुपये पर डॉलर के मुकाबले दबाव बना रह सकता है। भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में रुपये की कमजोरी के कारणों और भविष्य में सुधार की संभावनाओं पर चर्चा की गई है। जानें कि कैसे भू-राजनीतिक अनिश्चितताएँ और विदेशी निवेशकों की निकासी रुपये की स्थिति को प्रभावित कर रही हैं। क्या रुपये में अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सुधार होगा? इस रिपोर्ट में जानें सभी महत्वपूर्ण जानकारी।
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रुपये में हालिया सुधार और भविष्य की चुनौतियाँ

हालांकि बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के बाद रुपये में दो महीने की सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में रुपये पर डॉलर के मुकाबले दबाव बना रह सकता है। जानकारों के अनुसार, रुपये पर दबाव डालने वाले कारक अभी भी सक्रिय हैं, और रुपये का मूल्य जल्द ही 92 के स्तर तक गिर सकता है। इस संदर्भ में सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि रुपये की स्थिति कब तक स्थिर रहेगी। भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था के बावजूद, रुपये की ताकत कब तक बढ़ेगी?


इस प्रश्न का उत्तर भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट में दिया गया है। एसबीआई के आर्थिक शोध विभाग ने बताया है कि अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क के कारण रुपये में कमजोरी आई है, लेकिन अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपये में सुधार की संभावना है।


रुपये में गिरावट का विश्लेषण

अमेरिका ने 2 अप्रैल, 2025 से सभी देशों पर शुल्क बढ़ाने की घोषणा की थी, जिसके बाद भारतीय रुपये में 5.7 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह गिरावट प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। हालांकि, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते की संभावनाओं के कारण रुपये में कुछ समय के लिए मजबूती भी आई। रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये की गिरावट का मुख्य कारण अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क हैं।


रुपये की मजबूती की संभावनाएं: एसबीआई की रिपोर्ट में क्या कहा गया?


विदेशी निवेशकों की निकासी का प्रभाव

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के कारण विदेशी निवेशकों का पूंजी प्रवाह कम हो गया है। 2007 से 2014 के बीच, विदेशी निवेशकों की निकासी औसतन 162.8 अरब डॉलर थी, जबकि 2015 से अब तक यह केवल 87.7 अरब डॉलर रही है। शोध में कहा गया है कि 2014 से पहले का उच्च पोर्टफोलियो निवेश रुपये में उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण था।


रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि व्यापार समझौतों में देरी के कारण भू-राजनीतिक अनिश्चितताएँ बढ़ी हैं, जिससे रुपये की स्थिति प्रभावित हुई है।


वैश्विक अनिश्चितताओं का असर

रुपये पर भरोसे के विषय पर रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2025 से भू-राजनीतिक जोखिमों में कमी आई है, लेकिन वर्तमान औसत मूल्य पिछले दस वर्षों के औसत से अधिक है। यह दर्शाता है कि वैश्विक अनिश्चितताएँ रुपये पर दबाव डाल रही हैं। एसबीआई के अध्ययन के अनुसार, रुपये की गिरावट का दौर जारी है, लेकिन अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपये में सुधार की उम्मीद है।


रुपये की मजबूती की संभावनाएं: एसबीआई की रिपोर्ट में क्या कहा गया?


आरबीआई का हस्तक्षेप

घरेलू मुद्रा को 90 से 91 प्रति डॉलर तक पहुँचने में केवल 13 दिन लगे। बुधवार को रुपये में तेजी से सुधार हुआ और यह डॉलर के मुकाबले 55 पैसे बढ़कर 90.38 पर बंद हुआ। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार जून 2025 में 703 अरब डॉलर तक पहुँच गया था, लेकिन 5 दिसंबर, 2025 को समाप्त सप्ताह में यह घटकर 687.2 अरब डॉलर रह गया। इसका मुख्य कारण बाजार से पूंजी की निकासी और रुपये के विनिमय दर में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने जून से सितंबर के बीच विदेशी मुद्रा बाजार में लगभग 18 अरब डॉलर का हस्तक्षेप किया है।