महाराष्ट्र में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए कार्य समय में बदलाव

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए कार्य समय को बढ़ाकर 10 घंटे करने का निर्णय लिया है। यह कदम निवेश को आकर्षित करने, रोजगार सृजन और श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है। नए नियमों के तहत ओवरटाइम की सीमा भी बढ़ाई जाएगी, जिससे श्रमिकों को उचित मुआवज़ा मिलेगा। जानें इस निर्णय के पीछे के उद्देश्य और इसके संभावित प्रभाव।
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महाराष्ट्र में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए कार्य समय में बदलाव

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का नया निर्णय

मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए अधिकतम दैनिक कार्य समय को मौजूदा नौ घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे करने का निर्णय लिया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, यह कदम निवेश को आकर्षित करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने और श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में केंद्रीय कार्यबल द्वारा सुझाए गए संशोधनों को स्वीकृति दी गई। इसके साथ, महाराष्ट्र उन राज्यों में शामिल हो गया है, जैसे कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा, जहां पहले से ही ऐसे सुधार लागू हैं। 




बयान में कहा गया है कि ये संशोधन फैक्टरी अधिनियम, 1948 और महाराष्ट्र दुकान एवं स्थापना (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम 2017 में किए जाएंगे। इन परिवर्तनों के बाद उद्योगों को अधिक मांग या श्रमिकों की कमी के समय बिना रुकावट काम करने की अनुमति मिलेगी, साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि श्रमिकों को ओवरटाइम का उचित मुआवज़ा मिले। इसके तहत दैनिक कार्य घंटों की सीमा नौ से बढ़ाकर 12 घंटे की जाएगी, और विश्राम का समय पांच घंटे की बजाय छह घंटे के बाद मिलेगा। 


कानूनी ओवरटाइम की नई सीमा


कानूनी ओवरटाइम की सीमा 115 घंटे से बढ़ाकर प्रति तिमाही 144 घंटे की जाएगी, जिसके लिए श्रमिकों की लिखित सहमति आवश्यक होगी। साप्ताहिक कार्य घंटे भी साढ़े दस घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए जाएंगे। इसी प्रकार, संशोधित दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत दैनिक कार्य घंटों को नौ से बढ़ाकर 10 घंटे, ओवरटाइम की सीमा 125 से बढ़ाकर 144 घंटे और आपातकालीन ड्यूटी घंटों को 12 घंटे कर दिया जाएगा। यह बदलाव 20 या उससे अधिक श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों पर लागू होंगे। बीस से कम श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों को अब पंजीकरण प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि उन्हें केवल सूचना प्रक्रिया के तहत अधिकारियों को सूचित करना होगा। 




सरकार के अनुसार, यह कदम व्यापार में सुगमता लाएगा, नए निवेश को आकर्षित करेगा, रोजगार को बढ़ावा देगा और श्रमिकों के वेतन संरक्षण एवं अधिकारों में सुधार सुनिश्चित करेगा। इसमें ओवरटाइम पर दोगुना वेतन देना भी शामिल है। श्रम विभाग ने पिछले सप्ताह यह प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया था। विभाग का कहना है कि प्रस्तावित बदलाव, विशेषकर महिलाओं के लिए, एक अधिक आरामदायक कार्य वातावरण उपलब्ध कराएंगे और कर्मचारियों तथा नियोक्ताओं की लंबे समय से चली आ रही चिंताओं का समाधान करेंगे।