भारतीय डाक विभाग ने 50 साल पुरानी रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा को समाप्त करने का निर्णय लिया

विश्वास का एक धागा: पचास साल
भारतीय डाक विभाग ने रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा को समाप्त करने का निर्णय लिया है, जो कि 50 वर्षों से अधिक समय से विश्वसनीय सेवा रही है। यह सेवा 1 सितंबर 2025 से चरणबद्ध तरीके से समाप्त की जाएगी। यह कदम स्पीड पोस्ट के साथ सेवाओं के एकीकरण के हिस्से के रूप में उठाया गया है, जिसका उद्देश्य डाक सेवाओं को अधिक आधुनिक और प्रभावी बनाना है।
बदलते समय की सच्चाई: घटती मांग
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2011-12 में 244.4 मिलियन रजिस्टर्ड पोस्ट भेजे गए थे, जबकि 2019-20 में यह संख्या घटकर 184.6 मिलियन रह गई, जो लगभग 25% की कमी दर्शाती है। इसका मुख्य कारण डिजिटल सेवाओं का बढ़ता उपयोग और निजी कूरियर तथा ई-कॉमर्स कंपनियों से तीव्र प्रतिस्पर्धा है।
अब स्पीड पोस्ट की जिम्मेदारी
डाक विभाग ने सभी सरकारी, न्यायिक और शैक्षणिक संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे 1 सितंबर 2025 तक अपने कार्य स्पीड पोस्ट के तहत स्थानांतरित कर दें। स्पीड पोस्ट, जो 1986 से कार्यरत है, अब एकीकृत सेवा के रूप में अपनाई जाएगी, जिससे ट्रैकिंग में सुधार होगा, डिलीवरी की गति बढ़ेगी और प्रक्रिया अधिक प्रभावी होगी।
महंगाई की चिंताएँ
हालांकि, यह बदलाव सभी के लिए सुविधाजनक नहीं होगा। रजिस्टर्ड पोस्ट की शुरुआती कीमत 25.96 रुपये + 20 ग्राम पर 5 रुपये थी, जबकि स्पीड पोस्ट की कीमत 50 ग्राम पर 41 रुपये से शुरू होती है। इसका मतलब है कि स्पीड पोस्ट 20-25% महंगा है। यह अंतर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव डाल सकता है, जहां डाकघर अभी भी संपर्क का मुख्य साधन हैं और जहां आम लोग, किसान और छोटे व्यापारी सस्ती सेवाओं पर निर्भर हैं।
तकनीकी युग में कदम
विभाग का मानना है कि समय के साथ चलना आवश्यक है। आज की दुनिया को तेज, ट्रैक करने योग्य और स्मार्ट सेवाओं की आवश्यकता है। यह कदम उसी दिशा में एक प्रयास है।
अतीत की यादें
हालांकि स्पीड पोस्ट ट्रैकिंग और डिलीवरी की पुष्टि जैसी सुविधाएँ प्रदान करता रहेगा, रजिस्टर्ड पोस्ट लोगों की भावनाओं और यादों से भी जुड़ा हुआ है। विशेष रूप से बुजुर्गों और ग्रामीण लोगों के लिए, यह केवल एक सेवा नहीं बल्कि विश्वास का प्रतीक रहा है।
निष्कर्ष
रजिस्टर्ड पोस्ट का अंत केवल एक सेवा का अंत नहीं है, बल्कि एक युग का अंत है। यह बदलाव डिजिटल युग में आगे बढ़ने की आवश्यकता के बीच आवश्यक है, लेकिन इसके साथ जुड़ी भावनाएँ भी गहरी हैं।