भारत में नए आयकर बिल का प्रस्ताव: वित्त मंत्री ने पेश किया संशोधित मसौदा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में नया आयकर बिल पेश किया है, जिसमें 1961 के पुराने अधिनियम में कई महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं। इस बिल में 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर टैक्स छूट को बनाए रखा गया है। इसके अलावा, चयन समिति की प्रमुख सिफारिशों में संपत्ति के वार्षिक मूल्य, हाउस प्रॉपर्टी आय से कटौती, और व्यावसायिक संपत्तियों पर टैक्स नियमों में बदलाव शामिल हैं। जानें इस नए बिल के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
Aug 13, 2025, 03:55 IST
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आयकर कानून में महत्वपूर्ण बदलाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में नया आयकर बिल पेश किया, जो आयकर कानून में बड़े बदलावों का संकेत देता है। यह संशोधित बिल संसदीय चयन समिति की कई सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है और यह 1961 के पुराने आयकर अधिनियम को बदलने का आधार बनेगा। यह बिल अब लोकसभा में पारित हो चुका है।
आयकर छूट की स्थिति
एक सकारात्मक पहलू यह है कि 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर टैक्स छूट को बनाए रखा गया है।
नया संशोधित आयकर बिल
- पहले 13 फरवरी 2025 को पेश किए गए आयकर बिल को सरकार ने भ्रम से बचने के लिए वापस ले लिया।
- नया मसौदा 11 अगस्त को पेश किया गया, जिसमें सभी सुझाए गए बदलाव शामिल हैं।
- इसमें ड्राफ्टिंग की गलतियों को सुधारने, शब्दों का मिलान करने और कानूनी स्पष्टता लाने के लिए संशोधन किए गए हैं।
चयन समिति की प्रमुख सिफारिशें
- धारा 21 (संपत्ति का वार्षिक मूल्य) – 'इन नॉर्मल कोर्स' शब्द को हटाकर, खाली संपत्तियों के वास्तविक और अनुमानित किराए की तुलना का प्रावधान जोड़ा गया है।
- धारा 22 (हाउस प्रॉपर्टी आय से कटौती) –
- 30% मानक कटौती, नगरपालिका कर घटाने के बाद लागू होगी।
- निर्माण-पूर्व ब्याज कटौती को किराए पर दी गई संपत्तियों तक बढ़ाया गया है।
- धारा 19 (वेतन कटौती – अनुसूची VII) –
- पेंशन फंड से पेंशन पाने वालों को भी कम्यूटेड पेंशन पर कटौती की अनुमति दी जाएगी, भले ही वे कर्मचारी न हों।
- धारा 20 (व्यावसायिक संपत्ति) –
- अस्थायी रूप से खाली व्यावसायिक संपत्तियों को 'हाउस प्रॉपर्टी' आय के रूप में टैक्स नहीं लगेगा।
फरवरी में वापस लिए गए बिल की मुख्य बातें
- ड्राफ्ट में सरल भाषा, एकीकृत कटौतियां और स्पष्ट प्रावधानों का प्रस्ताव था।
- कुछ अपराधों पर कम पेनाल्टी और 'पहले भरोसा, बाद में जांच' का सिद्धांत शामिल था।
- टैक्स स्लैब, कैपिटल गेन नियम और आय वर्गों में कोई बदलाव नहीं किया गया।
- 23 अध्याय, 536 धाराएं और 16 अनुसूचियों के साथ सरल TDS नियम, आसान डेप्रिसिएशन प्रावधान, डिजिटल मॉनिटरिंग और आधुनिक कर प्रशासन का प्रस्ताव था।