भारत में ऑनलाइन मनी गेमिंग पर नया कानून: सुरक्षा और रोजगार के नए अवसर

सरकार का बड़ा कदम
नई दिल्ली: सरकार ने ऑनलाइन मनी गेमिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 'ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेगुलेशन) विधेयक, 2025' को लोकसभा में मंजूरी मिल गई है, जिसका उद्देश्य देश में बढ़ती मनी गेमिंग प्रवृत्ति को नियंत्रित करना और इससे होने वाले सामाजिक एवं आर्थिक नुकसान को रोकना है।
आर्थिक नुकसान की गंभीरता
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 45 करोड़ लोग पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेम्स में 20,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान उठाते हैं। यह नुकसान न केवल व्यक्तिगत परिवारों को प्रभावित करता है, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर संकट का संकेत है। इसी कारण से सरकार ने मनी गेमिंग पर सख्त प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता महसूस की है।
नए कानून के प्रावधान
इस नए विधेयक के तहत व्यक्तिगत कानून या राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया है कि वे पैसे वाले ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर कार्रवाई कर सकें। अब गूगल प्ले स्टोर से ऐसे गेम डाउनलोड करना संभव नहीं होगा जो खिलाड़ियों से पैसे लेते हैं। इसके साथ ही, ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार और नई संभावनाएं विकसित होंगी।
गेमिंग प्राधिकरण की स्थापना
सूत्रों के अनुसार, सरकार मनी गेमिंग की निगरानी और नियमन के लिए एक विशेष गेमिंग प्राधिकरण स्थापित करेगी। यह प्राधिकरण गेमिंग उद्योग के लगभग दो-तिहाई हिस्से को कवर करेगा और इसके तहत ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग के प्रोत्साहन के लिए बजट, योजनाएं और प्रमोशन भी जारी किए जाएंगे।
सजा और जुर्माना
विधेयक में उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। मनी गेमिंग सेवा प्रदान करने वाले व्यक्तियों को तीन साल तक की जेल और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। वहीं, नियमों का उल्लंघन करने वाले विज्ञापनदाताओं को दो साल तक की जेल और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है।
गेम ऑफ स्किल्स का मुद्दा
कई ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म खुद को 'गेम ऑफ स्किल्स' बताकर जुए से अलग दिखाने का प्रयास करते हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि गेम खेलने वाले व्यक्तियों को सजा नहीं मिलेगी, बल्कि उन मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी जो अपने आप को संचालित और बढ़ावा देते हैं।
सरकार की पूर्व प्रयास और नई पहल
भारत सरकार पहले भी मनी गेमिंग पर नियंत्रण लगाने के लिए कई उपाय कर चुकी है, जैसे जीएसटी लागू करना। लेकिन खिलाड़ी नियमों को टालते रहे। नियामक संस्था के गठन का प्रस्ताव भी विभिन्न हितों की टकराहट के कारण विफल रहा। अब यह नया विधेयक इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान लाने की उम्मीद जगाता है।
निष्कर्ष
ऑनलाइन मनी गेमिंग एक प्रकार का आधुनिक जुआ बन चुका है जो लाखों लोगों की आर्थिक स्थिरता को खतरे में डाल रहा है। सरकार ने समाज के हित में इस पर प्रतिबंध लगाकर इसे नियंत्रित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इससे न केवल खिलाड़ियों की सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि इस क्षेत्र में रोजगार और सोशल गेमिंग के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।