भारत की रेयर अर्थ तत्वों में बढ़ती ताकत: चीन का दबदबा टूटने वाला है

रेयर अर्थ तत्वों की बढ़ती मांग और उनकी रणनीतिक महत्वता के चलते भारत इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। चीन, जो इस क्षेत्र में प्रमुखता रखता है, अब भारत के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है। भारत सरकार ने ‘नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन’ की शुरुआत की है, जिससे देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। जानें कैसे भारत इस क्षेत्र में अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है और चीन का दबदबा कम कर सकता है।
 | 
भारत की रेयर अर्थ तत्वों में बढ़ती ताकत: चीन का दबदबा टूटने वाला है

रेयर अर्थ तत्वों का महत्व

भारत की रेयर अर्थ तत्वों में बढ़ती ताकत: चीन का दबदबा टूटने वाला है

रेयर अर्थ तत्वों का सबसे बड़ा उत्पादक देश चीन है।

वर्तमान में, रेयर अर्थ तत्वों पर चर्चा तेजी से बढ़ रही है। इन्हें 21वीं सदी का “नया तेल” माना जा रहा है, जो तकनीकी विकास और देशों की शक्ति को प्रभावित कर सकता है। ये 17 दुर्लभ धातुओं का समूह हैं, जिन्हें ‘रेयर अर्थ एलिमेंट्स’ (REEs) कहा जाता है। ये धातुएं स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन चक्कियों और रक्षा प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

कोटक म्यूचुअल फंड की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ये धातुएं भले ही आम लोगों की नजरों से दूर हैं, लेकिन ये स्वच्छ ऊर्जा, मजबूत अर्थव्यवस्था और स्थायी भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। अब जब दुनिया इनकी अहमियत को समझ रही है, भारत भी इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।


रेयर अर्थ तत्वों की पहचान

रेयर अर्थ तत्वों की विशेषताएँ

ये 17 धातुएं वास्तव में इतनी दुर्लभ नहीं हैं, लेकिन इनका शुद्धिकरण और उपयोग के लिए तैयार करना एक जटिल और महंगा कार्य है। यही कारण है कि ये धातुएं अत्यधिक मूल्यवान और रणनीतिक बन जाती हैं। आधुनिक तकनीक में इनकी भूमिका अनिवार्य है। जो देश इन धातुओं की आपूर्ति को नियंत्रित करेगा, वह तकनीकी दौड़ में आगे रहेगा। इसलिए, सभी देश इनकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत हैं।


भारत की स्थिति

भारत की दावेदारी

वर्तमान में, चीन इस क्षेत्र में प्रमुखता रखता है, जो दुनिया के 70% रेयर अर्थ का उत्पादन करता है। लेकिन भारत, जो लगभग 6% रेयर अर्थ भंडार रखता है, अब एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में उभर रहा है। हालाँकि, भारत का उत्पादन अभी भी 1% से कम है, लेकिन यह स्थिति तेजी से बदलने की संभावना है। केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में इन खनिजों का बड़ा भंडार है।


भारत का मिशन

भारत का ‘मिशन क्रिटिकल मिनरल’

भारत सरकार ने ‘नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (2025)’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य खोज, खनन और प्रसंस्करण को तेज करना है। हाल ही में, सरकारी कंपनी IREL को अमेरिकी निर्यात नियंत्रण सूची से हटा दिया गया है, जिससे भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के दरवाजे खुलते हैं। IREL विशाखापत्तनम में सैमरियम-कोबाल्ट मैग्नेट का उत्पादन शुरू करने जा रहा है, जो उच्च तकनीक और रक्षा उपकरणों के लिए आवश्यक हैं।


चीन का दबदबा कम होगा

चीन पर निर्भरता कम करना

अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देश अब चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है कि 2030 तक चीन की खनन हिस्सेदारी 69% से घटकर 51% और रिफाइनिंग में 90% से घटकर 76% रह जाएगी। यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है।

सरकार द्वारा खान और खनिज अधिनियम में सुधार और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव जैसी योजनाएं निजी क्षेत्र को इस क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। 2040 तक इन तत्वों की मांग में 300% से 700% तक की वृद्धि का अनुमान है। भारत की ये कोशिशें घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत वैश्विक स्तर पर एक नेता बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।