भारत की अर्थव्यवस्था: वैश्विक जीडीपी में बढ़ती हिस्सेदारी

भारत की अर्थव्यवस्था ने वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है, जिससे अमेरिका की चिंताएं बढ़ गई हैं। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत की जीडीपी वृद्धि दर अन्य देशों की तुलना में अधिक है, और 2035 तक इसकी हिस्सेदारी 9 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है। वित्त मंत्रालय के सचिव एम नागाराजू ने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था पिछले चार वर्षों में औसत 8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रही है। जानें कैसे भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है।
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भारत की अर्थव्यवस्था: वैश्विक जीडीपी में बढ़ती हिस्सेदारी

भारत की आर्थिक वृद्धि पर वैश्विक ध्यान

भारत की अर्थव्यवस्था ने हाल ही में वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है, जिससे अमेरिका की चिंताएं बढ़ गई हैं। अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जो कि भारत की तेजी से बढ़ती जीडीपी का संकेत है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने पुष्टि की है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर अन्य देशों की तुलना में अधिक है।


भारत का वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, और 2035 तक इसकी हिस्सेदारी 9 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है, जो कि 2024 में 6.5 प्रतिशत थी। यह जानकारी वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागाराजू ने हाल ही में एक सम्मेलन में साझा की। उन्होंने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था लगातार आगे बढ़ रही है।


नागाराजू ने बताया कि पिछले चार वर्षों में भारत की औसत वार्षिक वृद्धि दर 8 प्रतिशत रही है। वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो पिछले पांच तिमाहियों में सबसे अधिक है। उन्होंने यह भी बताया कि देश का बाहरी क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, और चालू खाता घाटा जीडीपी का केवल 0.5 प्रतिशत रहा।


भारत का शुद्ध सेवाओं का निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि देश 2047 तक विकसित राष्ट्र बन सकता है। नागाराजू ने कहा कि यह आर्थिक सफलता की कहानी भारत की बुनियादी ढांचे की महत्वाकांक्षाओं के लिए एक मजबूत आधार तैयार करती है।


वित्त वर्ष 2024-25 में सरकारी बैंकों ने निजी बैंकों को क्रेडिट वृद्धि में पीछे छोड़ दिया है, जो पिछले एक दशक में पहली बार हुआ है। नॉन-परफॉरमिंग एसेट्स (एनपीए) एक प्रतिशत से नीचे आ गई हैं, और पूंजी अनुपात भी नियामक मानकों से अधिक है, जो भारत के बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती को दर्शाता है।