भारत का व्यापार घाटा अक्टूबर में बढ़कर 41.68 अरब डॉलर तक पहुंचा

अक्टूबर 2024 में भारत का व्यापार घाटा 41.68 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो कि एक रिकॉर्ड है। निर्यात में 11.8% की गिरावट और आयात में 16.63% की वृद्धि ने इस स्थिति को जन्म दिया। सोने के आयात में भारी वृद्धि और अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों पर टैरिफ का प्रभाव भी महत्वपूर्ण है। सरकार ने निर्यातकों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वैश्विक मांग में सुधार नहीं होता है, तो आने वाले महीनों में व्यापार संतुलन पर दबाव बना रह सकता है।
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भारत का व्यापार घाटा अक्टूबर में बढ़कर 41.68 अरब डॉलर तक पहुंचा

भारत का निर्यात फिर गिरावट में

भारत का व्यापार घाटा अक्टूबर में बढ़कर 41.68 अरब डॉलर तक पहुंचा

भारत का निर्यात फिर फिसला

अक्टूबर 2024 में भारत का व्यापार घाटा तेजी से बढ़कर 41.68 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। सितंबर में यह आंकड़ा 32.15 अरब डॉलर था, जिससे एक महीने में घाटा लगभग 10 अरब डॉलर बढ़ गया। यह वृद्धि मुख्य रूप से सोने और चांदी के आयात में अचानक वृद्धि के कारण हुई है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में यह घाटा 35.62 अरब डॉलर था, जो पहले से ही चिंता का विषय था। लेकिन अक्टूबर की स्थिति इससे कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण रही। रॉयटर्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण में अर्थशास्त्रियों ने अक्टूबर के घाटे का अनुमान 28.8 अरब डॉलर लगाया था, जबकि वास्तविक आंकड़ा लगभग 13 अरब डॉलर अधिक निकला।


निर्यात में गिरावट और आयात में वृद्धि

निर्यात में भारी गिरावट, आयात में तेज बढ़ोतरी

अक्टूबर में भारत के निर्यात में 11.8% की कमी आई, जिससे यह 34.38 अरब डॉलर पर आ गया। दूसरी ओर, आयात में 16.63% की वृद्धि हुई, जो 76.06 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इस असंतुलन ने व्यापार घाटे को और बढ़ा दिया।

सोने के आयात ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। वाणिज्य सचिव के अनुसार, अक्टूबर में स्वर्ण आयात पिछले साल के 4.92 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर 14.72 अरब डॉलर हो गया। त्योहारों और निवेश की बढ़ती मांग ने सोने के आयात को कई गुना बढ़ा दिया।


अमेरिका को निर्यात में कमी और टैरिफ का प्रभाव

अमेरिका को निर्यात भी घटा-टैरिफ का बड़ा असर

भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर भी इस साल नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, अक्टूबर में अमेरिका को भारत का निर्यात पिछले साल के 6.9 अरब डॉलर से घटकर 6.3 अरब डॉलर रह गया।

कपड़ा, झींगा, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्रों में टैरिफ बढ़ने से निर्यातकों को काफी नुकसान हुआ है। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति ने भारत पर रूसी तेल खरीदने को लेकर 50% तक का भारी टैरिफ लगाया था, जिससे भारतीय उत्पाद महंगे हो गए और वियतनाम व बांग्लादेश जैसे देशों के मुकाबले कम प्रतिस्पर्धी बन गए।


सरकार के राहत उपाय और भविष्य की चुनौतियाँ

सरकार के राहत उपाय और आगे की राह

इन परिस्थितियों में निर्यातकों की शिकायतें बढ़ने लगीं, जिसके बाद भारत सरकार ने 5 अरब डॉलर से अधिक के राहत पैकेज की घोषणा की। सरकार का कहना है कि ये कदम न केवल कारोबारियों की नकदी स्थिति सुधारेंगे, बल्कि 1 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य की दिशा में देश की प्रगति को भी मजबूती देंगे।

सबसे ज्यादा मार उन सेक्टरों को झेलनी पड़ी है जो बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देते हैं जैसे कपड़ा, चमड़ा, फुटवियर और रत्न एवं आभूषण उद्योग। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वैश्विक मांग जल्दी नहीं सुधरी, और टैरिफ संबंधी तनाव जारी रहा, तो आने वाले महीनों में भी भारत के व्यापार संतुलन पर दबाव बना रह सकता है.