बीटेक की यात्रा: 25 वर्षों में इंजीनियरिंग शिक्षा में बदलाव
बीटेक की यात्रा के 25 वर्ष: एक नजर
2000 से 2025 के बीच बीटेक शिक्षा में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। Image Credit source: getty images
बीटेक की यात्रा के 25 वर्ष: इंजीनियरिंग शिक्षा में 2000 से 2025 के बीच कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। इस अवधि में नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत हुई और पुराने विषयों में नए अध्याय जोड़े गए। यह परिवर्तन केवल पाठ्यक्रम और किताबों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शिक्षण विधियों, आवश्यक कौशल, तकनीकी उपयोग और उद्योग के साथ समन्वय में भी बदलाव आया है। आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
2000: इंजीनियरिंग ब्रांचों की बढ़ती मांग
2000 के आसपास, आईटी क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा था, जिससे सॉफ्टवेयर की आवश्यकता भी बढ़ी। इस समय बीटेक कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (ECE) की मांग सबसे अधिक थी। इसी दौरान, यूपी सहित कई राज्यों में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी और छात्रों में बीटेक की पढ़ाई का उत्साह भी बढ़ा।
2005 से 2009: इंजीनियरिंग कॉलेजों की बाढ़
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 2005 से 2009 के बीच देश में निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या में तेजी आई। इस दौरान, हर शहर में नए इंजीनियरिंग कॉलेज खुलने लगे। 2005 में देश में लगभग 1355 इंजीनियरिंग कॉलेज थे, जो 2007 तक 1503 हो गए। 2009 तक, यह संख्या 3000 से अधिक हो गई। इस समय, एनआईटी और आईआईटी में प्रवेश AIEEE (All India Engineering Entrance Examination) के माध्यम से होता था।

2013 से 2018: प्रवेश नियमों में बदलाव
बीटेक में प्रवेश के लिए 2013 में जेईई मेन्स और जेईई एडवांस्ड की परीक्षाएं शुरू हुईं। 2018 से, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जेईई मेन्स का आयोजन करना शुरू किया, जबकि पहले यह सीबीएसई द्वारा आयोजित किया जाता था। इसी समय, आईआईटी में प्रवेश जेईई एडवांस्ड और एनआईटी में जेईई मेन्स के स्कोर और रैंक के आधार पर होने लगा। इस दौरान, बीटेक कंप्यूटर साइंस पूरी तरह से वैश्विक ब्रांच बन गई थी।

2020 से 2025: मांग में वृद्धि और विशेष पाठ्यक्रमों की शुरुआत
इस अवधि में बीटेक की पढ़ाई में कई बदलाव किए गए। पाठ्यक्रम में कौशल आधारित और प्रोजेक्ट कार्य को बढ़ावा दिया गया। उद्योग की मांग में वृद्धि के साथ, विशेष पाठ्यक्रमों की शुरुआत हुई। मल्टीपल एंट्री/एग्जिट विकल्प, वोकेशनल ट्रेनिंग, और उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार विशेष पाठ्यक्रम (जैसे डेटा साइंस, ग्रीन एनर्जी, ऑटोमेशन) जोड़े गए। छात्रों को नौकरी के बाजार के अनुसार तैयार करने के लिए कौशल और प्रायोगिक ज्ञान पर अधिक ध्यान दिया गया।
2025: ब्रांचों की मांग में कमी नहीं
2000 से 2025 के बीच, जहां बीटेक सीएस की मांग में वृद्धि हुई, वहीं मैकेनिकल और सिविल जैसी ब्रांचों की लोकप्रियता भी बनी रही। सरकारी कंपनियों में इनकी आवश्यकता के कारण इन ब्रांचों का महत्व आज भी कायम है। रेलवे और एनटीपीसी जैसी सरकारी कंपनियों में इन पेशेवरों की मांग बहुत अधिक है।
देश में सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, देश में लगभग 9000 AICTE-Approved इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जिनमें से लगभग 6000 निजी और 2500 सरकारी कॉलेज हैं। सरकारी कॉलेजों में IIT, NIT और IIIT संस्थान भी शामिल हैं।
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