बिहार में कृषि यंत्रों का आधुनिक उपयोग: किसानों की आय में वृद्धि

बिहार में कृषि यंत्रों का उपयोग
बिहार के किसान अब आधुनिक उपकरणों का सहारा लेकर खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी उत्पादकता में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही, किसानों की आय में भी सुधार देखने को मिल रहा है। राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं ने आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरकार किसानों को इन यंत्रों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित कर रही है और आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रही है।
कृषि रोड मैप के तहत, 48,956 कृषि यंत्र पहले ही किसानों को उपलब्ध कराए गए थे, जबकि अब तक 28,23,364 यंत्र अनुदानित दर पर प्रदान किए जा चुके हैं। इसके परिणामस्वरूप, राज्य में फार्म पावर की उपलब्धता 2004-05 में एक किलोवाट प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2022-23 में 3.56 किलोवाट प्रति हेक्टेयर हो गई है। सरकारी सहायता से प्राप्त ये आधुनिक कृषि यंत्र अब बिहार में कृषि क्रांति का एक महत्वपूर्ण साधन बन गए हैं।
कृषि यंत्रों का भाड़ा पर उपलब्धता
राज्य सरकार छोटे और मध्यम किसानों की मदद कर रही है, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है और जो कृषि यंत्र खरीदने में असमर्थ हैं। इसके लिए, कस्टम हायरिंग सेंटर, फार्म मशीनरी बैंक और फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विशेष कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं, जहां किसान भाड़े पर यंत्र लेकर कृषि कार्य कर सकते हैं।
केंद्र सरकार की योजना
केंद्र सरकार की सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मेकेनाइजेशन (एसएमएएम) योजना के तहत, 2025-26 तक राज्य के 12 जिलों में मॉडल कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों के माध्यम से किसानों को कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। इन जिलों में कैमूर, पटना, नवादा, गया, गोपालगंज, पूर्वी चम्पारण, समस्तीपुर, लखीसराय, जमुई, बांका, मधेपुरा और किशनगंज शामिल हैं। इसके अलावा, अन्य 26 जिलों में भी आधुनिक कृषि यंत्रों को भाड़े पर उपलब्ध कराया जाएगा।
अनुदान की व्यवस्था
कृषि यांत्रिकीकरण योजना के तहत, वित्तीय वर्ष 2025-26 में कृषि कार्य में उपयोग होने वाले विभिन्न यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है। इसमें छोटे कृषि यंत्र, फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित यंत्र, जुताई, बुआई, कटाई और थ्रेसिंग से संबंधित यंत्र तथा पोस्ट हार्वेस्ट और उद्यान से संबंधित यंत्र शामिल हैं।