बिहार के किसानों के लिए कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना का शुभारंभ

बिहार के किसानों के लिए एक नई उम्मीद के साथ कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना का शिलान्यास किया गया है। यह परियोजना किसानों को सालभर सिंचाई की सुविधा प्रदान करेगी और बाढ़ से राहत दिलाएगी। जानें इस परियोजना के वित्तीय पहलू, निर्माण कार्य और इसके प्रभाव के बारे में।
 | 
बिहार के किसानों के लिए कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना का शुभारंभ

बिहार के किसानों के लिए राहत की खबर

बिहार के किसानों के लिए कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना का शुभारंभ


उत्तर बिहार के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण समाचार सामने आया है। कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना, जो दशकों से चर्चा का विषय रही है, अब वास्तविकता में बदलने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर को इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का शिलान्यास किया है, जिससे सीमांचल और उत्तर बिहार के लाखों किसानों को सालभर सिंचाई की सुविधा मिलेगी और बाढ़ से राहत मिलेगी।


कोसी-मेची नदी जोड़ योजना का उद्देश्य

यह परियोजना बिहार की दो प्रमुख नदियों, कोसी और मेची, को जोड़ने का कार्य करेगी। इसका मुख्य उद्देश्य कोसी नदी के अतिरिक्त जल को मेची और महानंदा नदी बेसिन में स्थानांतरित करना है। कोसी, जिसे 'बिहार की दुखदायी नदी' कहा जाता है, नेपाल से आती है और अक्सर उत्तर बिहार में तबाही मचाती है।


इस योजना के माध्यम से इस विनाशकारी जल का सकारात्मक उपयोग किया जाएगा।


परियोजना की लागत और वित्तीय विवरण

इस योजना की प्रारंभिक अनुमानित लागत लगभग 2900 करोड़ रुपये थी, लेकिन समय के साथ और महंगाई के कारण यह बढ़कर 6282.32 करोड़ रुपये हो गई है। इसमें से 60% राशि केंद्र सरकार और 40% राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। केंद्र सरकार ने पहले ही 3652.56 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता को मंजूरी दे दी है।


भौगोलिक दायरा और निर्माण कार्य

इस योजना के अंतर्गत मौजूदा पूर्वी कोसी मुख्य नहर (EKMC) को 41.30 किलोमीटर तक पुनर्निर्मित किया जाएगा और इसे 117.50 किलोमीटर लंबी नहर के माध्यम से मेची नदी तक विस्तारित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, 9 नहर साइफन, 28 हेड रेगुलेटर, 14 साइफन एक्वाडक्ट, 22 सड़क पुल, 9 पाइप कलवर्ट, और 9 क्रॉस रेगुलेटर का निर्माण प्रस्तावित है। साइफन एक्वाडक्ट जैसी हाइड्रोलिक संरचनाएं इस परियोजना को तकनीकी रूप से मजबूत बनाएंगी।


सिंचाई और बाढ़ राहत का प्रभाव

यह परियोजना लगभग 2.15 लाख हेक्टेयर भूमि को सालभर सिंचाई की सुविधा प्रदान करेगी। इससे अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, खगड़िया और मधेपुरा जैसे जिलों के किसानों को सीधा लाभ होगा। अनुमानित सिंचाई क्षेत्र इस प्रकार है: अररिया: 69,000 हेक्टेयर, किशनगंज: 39,000 हेक्टेयर, पूर्णिया: 69,000 हेक्टेयर, कटिहार: 35,000 हेक्टेयर। इस परियोजना से इन क्षेत्रों में जल संकट काफी हद तक समाप्त होगा और कृषि उत्पादकता में सुधार होगा।