फेस्टिव सीजन में विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार में लौटना

अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का रुख सकारात्मक हो गया है, जिसमें उन्होंने 6,500 करोड़ रुपये का निवेश किया। पिछले 100 दिनों से बाजार में उनकी बेरुखी के बाद, त्योहारों के मौसम ने उनकी धारणा को बदल दिया। जानें कि इस बदलाव के पीछे क्या कारण हैं और कैसे भारतीय बाजार ने विदेशी निवेशकों का विश्वास फिर से जीता।
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फेस्टिव सीजन में विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार में लौटना

विदेशी निवेशकों का सकारात्मक रुख

फेस्टिव सीजन में विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार में लौटना


अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में अच्छा निवेश किया है। पिछले 100 दिनों से, बाजार ने विदेशी निवेशकों की बेरुखी का सामना किया था। लेकिन जैसे ही त्योहारों का मौसम आया, उनका रुख भी बदल गया। भारतीय त्योहारों का जादू सभी के चेहरों पर खुशी लाता है।


लगभग 100 दिनों तक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बाजार से मुनाफा निकाल रहे थे। जुलाई से अक्टूबर के बीच, उन्होंने करीब 80,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की। लेकिन दिवाली के नजदीक आते ही, उनका मूड भी सकारात्मक हो गया। अक्टूबर में, उन्होंने लगभग 6,500 करोड़ रुपये का निवेश किया।


विदेशी निवेशकों की खरीदारी का कारण

तीन महीनों की लगातार निकासी के बाद, अक्टूबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 6,480 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। इसका मुख्य कारण मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक कारक हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में एफपीआई ने 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये निकाले थे। अक्टूबर में निवेश धारणा में बदलाव ने भारतीय बाजारों के प्रति वैश्विक निवेशकों के विश्वास को दर्शाया है।


हालांकि, इस साल एफपीआई ने कुल 1,48,040 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। वहीं, बॉंड बाजार में, एफपीआई ने इस महीने (17 अक्टूबर तक) लगभग 5,332 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो भारतीय ऋण साधनों में निरंतर रुचि को दर्शाता है।


भरोसे में वृद्धि के कारण

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के प्रमुख हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, भारत का वृहद आधार मजबूत बना हुआ है। स्थिर वृद्धि और घरेलू मांग ने एफपीआई का भरोसा बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक तरलता की स्थिति में सुधार हो रहा है, जिससे उभरते बाजारों में धन का प्रवाह बढ़ रहा है।


इसके अलावा, भारतीय मूल्यांकन अब अधिक आकर्षक हो गए हैं, जिससे गिरावट में खरीदारी की रुचि फिर से बढ़ी है।


रणनीति में बदलाव के कारण

जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की रणनीति में बदलाव का मुख्य कारण भारत और अन्य बाजारों के बीच मूल्यांकन के अंतर में कमी है। पिछले एक साल में भारत के कम प्रदर्शन ने बेहतर संभावनाओं को जन्म दिया है।


विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले सप्ताह में व्यापार घटनाक्रम और तिमाही नतीजे एफपीआई प्रवाह की दिशा निर्धारित करेंगे।