फेस्टिव सीजन में 14 लाख करोड़ का खर्च: शादियों और त्योहारों पर जोर

इस फेस्टिव सीजन में 14 लाख करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है, जिसमें शादियों और त्योहारों का बड़ा योगदान होगा। बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी, खासकर विवाह संबंधी खर्चों में। भारत में हर साल लगभग 1 करोड़ शादियां होती हैं, जिनमें से अधिकांश अक्टूबर से दिसंबर के बीच होती हैं। इसके अलावा, अन्य क्षेत्रों जैसे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल में भी खर्च बढ़ने की संभावना है। जानें इस रिपोर्ट में और क्या कहा गया है।
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फेस्टिव सीजन में 14 लाख करोड़ का खर्च: शादियों और त्योहारों पर जोर

फेस्टिव सीजन में खर्च का अनुमान

फेस्टिव सीजन में 14 लाख करोड़ का खर्च: शादियों और त्योहारों पर जोर

बीओबी की रिपोर्ट के अनुसार इस फेस्टिव सीजन 14 लाख करोड़ का करोबार हो सकता है.


इस वर्ष फेस्टिव सीजन में खर्च और आय के सभी रिकॉर्ड टूटने की संभावना है। बैंक ऑफ बड़ौदा की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में जीएसटी दरों में कमी के चलते इस त्योहारी सीजन में उपभोक्ता खर्च 12 लाख करोड़ से 14 लाख करोड़ रुपए के बीच रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शादियों और त्योहारों से संबंधित कुल उपभोग खर्च इसी सीमा में रहने का अनुमान है। इस खर्च का एक बड़ा हिस्सा कपड़ों, शादियों, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में जाएगा। दैनिक उपयोग की वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थों और अन्य एफएमसीजी उत्पादों को इस अध्ययन से बाहर रखा गया है।


शादियों पर खर्च की प्रमुखता

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि उपभोग में 12 लाख करोड़ से 14 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि होगी, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा विवाह संबंधी खर्चों का होगा। भारत में त्योहारों का मौसम शुभ विवाह काल की शुरुआत का प्रतीक है, जो खपत का एक महत्वपूर्ण कारक है। अनुमान है कि भारत में हर साल लगभग 1 करोड़ शादियां होती हैं, जिनमें से लगभग 60 प्रतिशत अक्टूबर और दिसंबर के बीच होती हैं। इन आंकड़ों के आधार पर, रिपोर्ट का अनुमान है कि विवाह पर खर्च 4.5 लाख करोड़ से 5 लाख करोड़ रुपए तक हो सकता है।


अन्य क्षेत्रों में खर्च की संभावनाएं

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। टैरिफ संबंधी अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत की आर्थिक वृद्धि घरेलू खपत के कारण सुरक्षित बनी हुई है। जीएसटी दरों में हालिया बदलाव उपभोग वृद्धि के लिए एक सकारात्मक पहल साबित हुए हैं। अध्ययन में कहा गया है कि शादी-ब्याह से जुड़े खर्चों के बाद कपड़ों, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक सामानों की मांग में भी मजबूती देखने को मिलेगी। इसके अलावा, एफएमसीजी और क्यूएसआर जैसे क्षेत्रों को व्यक्तिगत खपत और उपहार खरीदारी में वृद्धि से लाभ होने की उम्मीद है। एविएशन और रेलवे जैसे यात्रा क्षेत्रों में भी मांग बढ़ने की संभावना है।


दिवाली के व्यापार का अनुमान

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष दिवाली का कुल व्यापार लगभग 4.75 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग खर्च का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 13 प्रतिशत खाद्य उत्पादों और किराना, 3 प्रतिशत फल और सूखे मेवे, 4 प्रतिशत मिठाई और नमकीन, 12 प्रतिशत वस्त्र और परिधान, 4 प्रतिशत इलेक्ट्रिकल सामान, 8 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, 3 प्रतिशत बिल्डर्स हार्डवेयर, 3 प्रतिशत होम डेकोर, 6 प्रतिशत कॉस्मेटिक्स और व्यक्तिगत देखभाल, 3 प्रतिशत बर्तन और किचनवेयर, 3 प्रतिशत पूजा सामग्री, 2 प्रतिशत कंफेक्शनरी और बेकरी उत्पाद, 4 प्रतिशत फर्निशिंग और फर्नीचर, 8 प्रतिशत उपहार वस्तुएं और 24 प्रतिशत अन्य सेवाएं जैसे ऑटोमोबाइल, खिलौने, पैकेजिंग, स्टेशनरी, यात्रा आदि शामिल हैं।