पर्सनल लोन लेते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

पर्सनल लोन लेना आजकल बेहद आसान हो गया है, लेकिन इसके साथ कई महत्वपूर्ण बातें हैं जिनका ध्यान रखना आवश्यक है। कम EMI और लंबी अवधि के फायदे-नुकसान को समझना जरूरी है। इस लेख में जानें कि कैसे एक ही बैंक पर निर्भरता, छिपे हुए चार्ज, और रीपेमेंट की तैयारी आपके वित्तीय भविष्य को प्रभावित कर सकती है। सही जानकारी के साथ, आप एक समझदारी भरा निर्णय ले सकते हैं।
 | 
पर्सनल लोन लेते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

पर्सनल लोन की सरलता और सावधानी

पर्सनल लोन लेते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

पर्सनल लोन

आजकल पर्सनल लोन लेना पहले से कहीं अधिक सरल हो गया है। मोबाइल ऐप्स पर लोन के ऑफर दिखाई देते हैं, कुछ ही मिनटों में केवाईसी प्रक्रिया पूरी होती है और राशि सीधे आपके खाते में जमा हो जाती है। इतनी तेज़ी से मिलने वाला लोन लोगों को यह एहसास नहीं कराता कि वे एक महंगा कर्ज लेने जा रहे हैं। पर्सनल लोन सहायक हो सकता है, लेकिन यदि इसे बिना सोच-समझे लिया जाए तो यह बाद में बड़ी समस्या बन सकता है।

अधिकतर लोग लोन लेते समय सबसे पहले EMI पर ध्यान देते हैं। कम EMI देखकर लगता है कि लोन चुकाना आसान होगा। लेकिन कम EMI का अर्थ अक्सर लंबी अवधि होती है। जैसे-जैसे अवधि बढ़ती है, कुल ब्याज भी बढ़ता है। महीने का अंतर छोटा लग सकता है, लेकिन 3 या 5 साल में यह हजारों रुपये का फर्क पैदा कर सकता है। समझदारी इसी में है कि EMI के साथ-साथ यह भी देखें कि कुल लोन पर कितना पैसा चुकाना होगा।


एक ही बैंक पर निर्भरता से बचें

एक ही बैंक पर भरोसा करना भारी पड़ सकता है

लोग अक्सर उसी बैंक से पर्सनल लोन लेते हैं, जहां उनका सैलरी खाता होता है। यह सुविधा तो देती है, लेकिन हर बैंक या एनबीएफसी की ब्याज दर और चार्ज अलग होते हैं। सिर्फ 1 प्रतिशत अधिक ब्याज भी पूरे लोन में बड़ा अंतर डाल सकता है। दो-तीन लेंडर्स की तुलना करने में ज्यादा समय नहीं लगता, लेकिन इससे आपकी जेब पर बोझ काफी कम हो सकता है.


छिपे हुए चार्ज का ध्यान रखें

छुपे हुए चार्ज को हल्के में न लें

पर्सनल लोन में प्रोसेसिंग फीस, जीएसटी, डॉक्यूमेंटेशन चार्ज और कभी-कभी इंश्योरेंस भी शामिल होता है। ये खर्च पहली नजर में छोटे लगते हैं, लेकिन लोन की राशि बढ़ने पर ये भी बढ़ जाते हैं। कई बार यह फीस लोन मिलने से पहले ही काट ली जाती है, जिससे आपके खाते में अपेक्षा से कम राशि आती है। लोन साइन करने से पहले चार्जेज को ध्यान से पढ़ना बहुत आवश्यक है।


लंबी अवधि के नुकसान

लंबी अवधि हमेशा फायदेमंद नहीं होती

लंबी अवधि का लोन EMI को हल्का कर सकता है, लेकिन यह आपकी वित्तीय स्वतंत्रता को भी प्रभावित कर सकता है। जब सालों तक एक EMI चलती रहती है, तो भविष्य में घर, बच्चों की पढ़ाई या किसी बड़े निवेश की योजना पर असर पड़ सकता है। यदि आपकी आय अनुमति देती है, तो कम अवधि का विकल्प चुनना अधिक समझदारी है। इससे ब्याज कम लगता है और कर्ज जल्दी चुकता होता है।


रीपेमेंट की तैयारी

लोन मिलने से पहले ही रीपेमेंट की तैयारी करें

लोग अक्सर लोन मिलने को अंतिम कदम मान लेते हैं, जबकि असली जिम्मेदारी वहीं से शुरू होती है। पैसा आते ही खर्च करना आसान होता है, लेकिन EMI हर महीने निश्चित तारीख को कटती है। बेहतर है कि लोन लेने से पहले ही ऑटो-डेबिट सेट करें, पहली EMI के लिए अलग से पैसे रखें और यदि भविष्य में प्रीपेमेंट करने का विचार हो तो उसकी शर्तें भी समझ लें। पहले से की गई तैयारी आपको मानसिक तनाव से बचा सकती है।


पर्सनल लोन का सही उपयोग

पर्सनल लोन शादी, मेडिकल इमरजेंसी या आवश्यक खर्चों में सहारा बन सकता है, लेकिन इसे लाइफस्टाइल खर्च का साधन बनाना हानिकारक हो सकता है। सोच-समझकर लिया गया लोन आपकी मदद करता है, जबकि जल्दबाजी में लिया गया लोन लंबे समय तक आपकी कमाई पर बोझ बना रहता है.

(डिस्क्लेमर- यह जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। किसी भी वित्तीय निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.)