डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर: सरकारी योजनाओं का पैसा सीधे किसानों के खाते में

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) प्रणाली ने सरकारी योजनाओं के तहत धन के वितरण में क्रांति ला दी है। यह तकनीक सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पैसे भेजती है, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो गई है। पीएम किसान योजना इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जिसमें किसानों को बिना किसी रुकावट के सहायता मिलती है। जानें कैसे यह प्रणाली काम करती है और इसके लाभ क्या हैं।
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डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर: सरकारी योजनाओं का पैसा सीधे किसानों के खाते में

DBT प्रणाली क्या है?

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर: सरकारी योजनाओं का पैसा सीधे किसानों के खाते में

DBT का परिचय

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना: सरकारी योजनाओं के संदर्भ में आम नागरिकों के मन में अक्सर यह सवाल उठता था कि क्या सरकार द्वारा भेजा गया धन वास्तव में जरूरतमंदों तक पहुंचता है? पहले यह एक बड़ी समस्या थी, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। यह बदलाव संभव हुआ है उस तकनीक के माध्यम से जिसे हम 'डीबीटी' (DBT) के नाम से जानते हैं। इसी तकनीक के जरिए पीएम किसान योजना के तहत 21वीं किस्त के रूप में 18 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि, तुरंत 9 करोड़ किसानों के खातों में पहुंच गई। आइए, समझते हैं कि यह प्रणाली कैसे कार्य करती है और कैसे इसने बिचौलियों की भूमिका समाप्त कर दी है।


DBT प्रणाली का कार्यप्रणाली

सरल शब्दों में, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) सरकार और नागरिकों के बीच एक सीधा डिजिटल संपर्क है। इस प्रणाली में सरकार सब्सिडी या योजना का धन किसी मध्यस्थ के हाथों में देने के बजाय सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजती है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी सहायता में होने वाली 'लीकेज' को रोकना है।

भारत में इस प्रणाली की शुरुआत 1 जनवरी 2013 को हुई थी। प्रारंभ में योजना आयोग ने इसके ढांचे को तैयार किया था, ताकि सरकारी धन के वितरण पर नजर रखी जा सके। इसके बाद, जुलाई 2013 से 2015 तक इसके कार्यान्वयन की जिम्मेदारी एक विशेष विभाग को सौंपी गई। 14 सितंबर 2015 को इसे और प्रभावी बनाने के लिए कैबिनेट सचिवालय को सौंपा गया, जो अब समन्वय और लोक शिकायत सचिव की देखरेख में कार्य करता है।


सरकारी धन का लाभ कैसे मिलता है?

डीबीटी कोई साधारण सॉफ्टवेयर नहीं है, बल्कि यह एक सुव्यवस्थित और एकीकृत पहल है। यह प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य करती है ताकि 'हकदार को ही उसका हक मिले।'

यह प्रणाली केंद्रीय योजना निगरानी प्रणाली (CPSMS) पर आधारित है। सरकार पहले पात्र व्यक्तियों की एक सूची तैयार करती है। इसमें 'आधार कार्ड' की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आधार से जुड़े विवरणों का उपयोग करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि व्यक्ति की पहचान सही है। चूंकि धन आधार से जुड़े बैंक खाते में ही जाता है, इसलिए किसी अन्य व्यक्ति द्वारा धन निकालने की संभावना बहुत कम होती है। जैसे ही सरकार द्वारा भुगतान जारी किया जाता है, वह बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सीधे लाभार्थी के खाते में दिखाई देने लगता है।


तेजी से करोड़ों रुपये का ट्रांसफर

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM Kisan) योजना डीबीटी की सफलता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस योजना के तहत भूमि धारक किसान परिवारों को खेती के लिए सालाना 6000 रुपये की सहायता दी जाती है। हाल ही में पीएम मोदी ने कोयंबटूर से 21वीं किस्त जारी की, जो इसी डीबीटी प्रणाली का परिणाम थी।

बिना इस प्रणाली के, 18 हजार करोड़ रुपये की इतनी बड़ी राशि को 9 करोड़ लोगों तक नकद या चेक के माध्यम से पहुंचाने में महीनों लग जाते और भ्रष्टाचार का खतरा भी होता। डीबीटी ने यह सुनिश्चित किया कि केवल जरूरतमंद किसानों को ही सहायता मिले। आज स्थिति यह है कि दिल्ली से भेजा गया पूरा धन, बिना किसी कमी के, सीधे किसानों के खातों में सुरक्षित पहुंच रहा है। यह तकनीक न केवल समय की बचत कर रही है, बल्कि जनता का शासन पर विश्वास भी मजबूत कर रही है।