चांदी की कीमतों में वृद्धि की भविष्यवाणी: दिसंबर तक क्या होगा?

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के सीईओ अरुण मिश्रा ने चांदी की कीमतों में संभावित वृद्धि की भविष्यवाणी की है। उनका कहना है कि दिसंबर तक चांदी की कीमत 50 से 55 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस के बीच रह सकती है। वैश्विक व्यापार में अस्थिरता और सौर ऊर्जा के बढ़ते उपयोग के कारण चांदी की मांग में वृद्धि हो रही है। जानें इस विषय पर और क्या कहा गया है और कंपनी के उत्पादन आंकड़े क्या हैं।
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चांदी की कीमतों में वृद्धि की भविष्यवाणी: दिसंबर तक क्या होगा?

चांदी की कीमतों में संभावित उछाल

चांदी की कीमतों में वृद्धि की भविष्यवाणी: दिसंबर तक क्या होगा?

वेदांता ग्रुप के अनुसार चांदी की कीमतों में उछाल जारी रह सकता है.

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) के सीईओ अरुण मिश्रा ने बताया है कि इस साल दिसंबर तक चांदी की कीमत लगभग 55 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस तक पहुँच सकती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार में अस्थिरता और अन्य निवेश विकल्पों में कमी के कारण निवेशक सुरक्षित संपत्तियों की ओर बढ़ रहे हैं। यह कंपनी विश्व स्तर पर चांदी की प्रमुख उत्पादकों में से एक है और भारत में चांदी की सबसे बड़ी उत्पादक मानी जाती है। आइए जानते हैं कि इस कंपनी ने क्या भविष्यवाणी की है।

दिसंबर तक चांदी की कीमत का अनुमान

मिश्रा ने कहा कि पहले उन्होंने जनवरी तक चांदी की कीमत 46 डॉलर प्रति औंस रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन अब यह स्तर पार हो चुका है। वर्तमान में, दिसंबर तक इसकी कीमत 50 से 55 डॉलर प्रति औंस के बीच रहने की संभावना है। उन्होंने बताया कि वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल और अन्य निवेश साधनों में स्थिरता की कमी के कारण लोग बहुमूल्य धातुओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जिंक जैसे धातुओं की बढ़ती कीमतें भी इस विश्वास को दर्शाती हैं।

चांदी की मांग में वृद्धि के कारण

चांदी की कीमतों में वृद्धि के पीछे एक प्रमुख कारण इसकी कम सप्लाई और सौर ऊर्जा पर बढ़ता ध्यान है। मिश्रा ने बताया कि रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग बढ़ रहा है। चीन अपने विशाल रेगिस्तानी क्षेत्रों को सौर ऊर्जा उत्पादन में बदल रहा है, जिससे सौर पैनल निर्माण में चांदी की खपत बढ़ेगी।

कंपनी का उत्पादन आंकड़ा

कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 में 687 मीट्रिक टन और चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 293 मीट्रिक टन चांदी का उत्पादन किया। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (एमओएफएसएल) के अनुसार, भारत 2025 की तीसरी तिमाही तक 3,000 टन चांदी का आयात करेगा, जो ऊंची कीमतों के बावजूद मजबूत मांग को दर्शाता है। चांदी की इस तेजी का कारण न केवल निवेशकों की मांग है, बल्कि सौर ऊर्जा, ईवी वाहनों और एआई हार्डवेयर में औद्योगिक उपयोग भी है, जिससे बाजार में लगातार कमी बनी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, सोने-चांदी का अनुपात इस साल की शुरुआत में 110 से घटकर लगभग 81-82 रह गया है, जो चांदी की मजबूती का एक बड़ा संकेत है.