चांदी की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि: निवेशकों के लिए नया अवसर

चांदी की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि

इस वर्ष चांदी ने अद्वितीय वृद्धि दर्ज की है.
इस साल चांदी की कीमतों में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी देखी गई. पिछले साल चांदी की कीमत 87,233 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो अब बढ़कर 1,30,099 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है. इसका मतलब है कि 2025 में चांदी ने 49.14 प्रतिशत से अधिक का लाभ दिया है. यह रिटर्न न केवल सोने को पीछे छोड़ता है, बल्कि शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक जैसे बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी को भी काफी पीछे छोड़ दिया है. इस वर्ष सोने की कीमतों में 43.2 प्रतिशत और सेंसेक्स व निफ्टी में क्रमशः 5.74 प्रतिशत और 7.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
चांदी क्यों बनी निवेशकों की प्राथमिकता?
मेहता इक्विटीज के उपाध्यक्ष राहुल कलंत्री के अनुसार, इस वृद्धि के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं. सबसे पहले, अमेरिकी डॉलर की कमजोरी और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद ने निवेशकों का चांदी पर विश्वास बढ़ाया है. इसके अलावा, वैश्विक राजनीतिक अनिश्चितता के बीच सुरक्षित निवेश के लिए लोग चांदी की ओर आकर्षित हुए हैं. साथ ही, सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग ने औद्योगिक उपयोग को बढ़ावा दिया है, जिससे चांदी की खपत में वृद्धि हुई है.
मांग अधिक, आपूर्ति कम
चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन आपूर्ति उतनी तेजी से नहीं बढ़ रही है. सिल्वर इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 लगातार पांचवां वर्ष है जब चांदी की आपूर्ति कम रहेगी. इसका मतलब है कि उद्योगों में चांदी की मांग बढ़ रही है. स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र की बढ़ती जरूरतों ने इस मांग को और मजबूत किया है.
क्या अभी भी चांदी में निवेश करना सही है?
निवेशक अक्सर यह सोचते हैं कि अब निवेश करना सही होगा या नहीं. विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी में निवेश करना अभी भी लाभकारी हो सकता है, लेकिन थोड़ी सावधानी आवश्यक है. राहुल कलंत्री का कहना है कि स्वच्छता और हरित ऊर्जा जैसे सौर और इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में मांग बढ़ी हुई है, इसलिए चांदी की कीमतों में और तेजी आने की संभावना बनी हुई है.
वहीं, मोतीलाल ओसवाल के विशेषज्ञ मानव मोदी का कहना है कि चांदी में मध्यम से लंबी अवधि तक निवेश किया जा सकता है. हालांकि, चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है, इसलिए निवेश से पहले अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को समझना आवश्यक है.