क्या चांदी की कीमतें फिर से बढ़ेंगी? जानें निवेशकों के लिए क्या है सही समय

इस साल चांदी ने बाजार में एक नई हलचल पैदा की है, जिससे निवेशकों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इसकी कीमतें फिर से बढ़ेंगी या गिरेंगी। दिवाली और शादी के मौसम में चांदी की मांग में वृद्धि के साथ-साथ डिजिटल निवेश ने भी इस तेजी को बढ़ावा दिया है। हालांकि, इतिहास से सीखते हुए, विशेषज्ञों का कहना है कि निवेश करते समय सतर्क रहना जरूरी है। क्या यह तेजी स्थायी है या केवल एक अस्थायी बुलबुला? जानें इस लेख में।
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चांदी की कीमतों में उछाल

इस वर्ष चांदी ने बाजार में एक नई हलचल पैदा की है, जिससे हर व्यापारी, ज्वेलर और निवेशक एक ही सवाल पूछ रहा है: क्या चांदी फिर से अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ेगी या 2011 की तरह गिरावट का सामना करेगी? हाल ही में MCX पर चांदी की कीमत ₹1,70,415 प्रति किलो तक पहुंच गई है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका मूल्य 54 डॉलर प्रति औंस को पार कर गया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की कीमतें 2 लाख के स्तर को छू सकती हैं, लेकिन क्या यह तेजी स्थायी होगी या केवल एक अस्थायी बुलबुला है?


त्योहारों का सीजन और चांदी की मांग

भारत में दिवाली और शादी के मौसम में चांदी की खरीदारी एक परंपरा रही है। इस साल भी त्योहारी मांग में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है, साथ ही डिजिटल निवेश और ट्रेडिंग ने भी इस तेजी को बढ़ावा दिया है। कुछ ज्वेलर्स चांदी पर 10% तक प्रीमियम वसूल कर रहे हैं। निवेशक इसे 'सिल्वर टू द मून' कहकर खरीद रहे हैं, लेकिन क्या यह सब सही दिशा में जा रहा है?


क्या चांदी का इतिहास दोहराएगा?

साल 2011 को कोई नहीं भूल सकता, जब चांदी की कीमत ₹71,000 प्रति किलो तक पहुंच गई थी और ₹1 लाख का आंकड़ा छूने की उम्मीद थी। लेकिन अचानक बाजार में गिरावट आई और कुछ महीनों में चांदी ₹40,000 से नीचे चली गई। ऐसा ही कुछ 1980 में भी हुआ था। इसलिए यह सवाल उठता है कि क्या इस बार भी वही कहानी दोहराई जाएगी?


नई संभावनाएं

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार की तेजी में कुछ नया है। चांदी अब केवल गहनों तक सीमित नहीं है; इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर पैनलों और स्मार्ट उपकरणों में इसकी खपत बढ़ रही है। वैश्विक स्तर पर ग्रीन एनर्जी के लिए चल रहे अभियानों में चांदी की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिससे कुछ लोग इसे दीर्घकालिक निवेश के लिए फायदेमंद मानते हैं।


सावधानी बरतें

हालांकि चांदी की कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन हाल ही में यह ₹1.70 लाख से घटकर ₹1.53 लाख तक आ गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब सभी लोग एक साथ किसी चीज में निवेश करने लगते हैं, तो सतर्क रहना चाहिए। इसे बाजार की भाषा में ओवरबॉट जोन कहा जाता है, जिसका मतलब है कि अधिक खरीदी के बाद गिरावट की संभावना होती है। इसलिए, यदि आप चांदी में निवेश करने का सोच रहे हैं, तो केवल भीड़ को देखकर निर्णय न लें। थोड़ी रिसर्च करें, बाजार को समझें और अपने जोखिम के अनुसार कदम उठाएं।