कोटा में लहसुन की कीमतों में गिरावट, किसानों की चिंताएं बढ़ीं

कोटा मंडी में लहसुन की कीमतों में गिरावट ने किसानों को चिंतित कर दिया है। पिछले साल की तुलना में इस साल लहसुन की आवक में कमी आई है, जिससे दाम भी गिर गए हैं। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और किसानों की प्रतिक्रिया।
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कोटा में लहसुन की कीमतों में गिरावट, किसानों की चिंताएं बढ़ीं

कोटा मंडी में लहसुन की स्थिति


कोटा मंडी भाव: इस वर्ष कोटा के लहसुन उत्पादक किसानों को पिछले साल की तुलना में काफी कम दाम मिल रहे हैं। यह पहली बार है कि अप्रैल और मई में मंडी में केवल 10 हजार कट्टे लहसुन की बिक्री हो रही है, जबकि पिछले सीजन में रोजाना 35 हजार कट्टे लहसुन की आवक होती थी। व्यापारी इस कमी का मुख्य कारण पिछले साल की तुलना में लहसुन की कीमतों में गिरावट को मानते हैं।


पिछले वर्ष लहसुन की कीमत 40 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी, जबकि इस साल यह केवल 9 हजार रुपए तक ही रह गई है। कई किसान दाम बढ़ने की उम्मीद में लहसुन का भंडारण कर रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि इस साल हिमाचल, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और मध्यप्रदेश में लहसुन की बुवाई पिछले साल की तुलना में अधिक हुई है, जिससे पश्चिम बंगाल, केरल, उड़ीसा और बिहार में लहसुन की आपूर्ति बढ़ी है।


हाड़ौती क्षेत्र में 2022 में लहसुन का रकबा 7 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 7.25 लाख मीट्रिक टन था, जिसके कारण दामों में गिरावट आई थी। किसानों को केवल 2 रुपए प्रति किलो का भाव मिला था, जिससे कई किसानों ने अपने खेतों में लहसुन को नष्ट कर दिया था। 2023 में रकबा घटने से दामों में सुधार हुआ, लेकिन अब फिर से गिरावट देखी जा रही है।


किसानों का माल रोकना


भारतीय किसान संघ के संभागीय अध्यक्ष गिर्राज चौधरी, जिलाध्यक्ष जगदीश कलमंडा और प्रचार प्रमुख आशीष मेहता ने बताया कि कई किसान लहसुन के दाम बढ़ने की उम्मीद में अपने माल को रोक रहे हैं, जिससे मंडी में लहसुन की आवक कम हो रही है। भामाशाह मंडी सचिव मनोज मीणा के अनुसार, 2024 में अप्रैल और मई में 2.86 लाख क्विंटल लहसुन बिका था, जबकि इस साल अप्रैल और मई में केवल 2.15 लाख क्विंटल लहसुन की आवक हुई है। लहसुन व्यापारी निरंजन मंडावत ने कहा कि 20 वर्षों में पहली बार अप्रैल और मई में लहसुन की आवक इतनी कम हुई है, जबकि ये दो महीने लहसुन के पीक सीजन माने जाते हैं।