केंद्र सरकार का GST 2.0: टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव

GST में प्रस्तावित बदलाव
केंद्र सरकार GST (वस्तु एवं सेवा कर) में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने की योजना बना रही है। नई योजना, जिसे GST 2.0 नाम दिया गया है, जल्द ही राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में प्रस्तुत की जाएगी। इस बदलाव के तहत मौजूदा चार टैक्स स्लैब, 5%, 12%, 18% और 28%, को घटाकर केवल दो स्लैब, 5% और 18% में समाहित किया जाएगा। इसका अर्थ है कि जिन वस्तुओं पर पहले 5% या 12% टैक्स लगता था, वे अब 5% स्लैब में शामिल होंगी।
इसी तरह, जिन वस्तुओं पर 28% टैक्स था, वे अब 18% स्लैब में आ जाएंगी। इस परिवर्तन से आम जनता को लाभ होगा क्योंकि इससे सामान की कीमतें कम होंगी और खरीदारी में वृद्धि होगी। इससे बाजार में गति आएगी और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। सरकारी बैंक SBI ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस बदलाव से देश में कुल खपत में लगभग 1.98 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार संभावित प्रभाव
SBI रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ये बदलाव सरकार को लगभग 85,000 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे में डाल सकते हैं। फिर भी, इस नुकसान के बावजूद देश की खपत में करीब 1.98 लाख करोड़ रुपये का इजाफा होने की संभावना है। इसका मतलब है कि बाजार में मांग बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थों और कपड़ों पर GST की दर को 12% से घटाकर 5% करने की संभावना है। इससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर में 0.2 से 0.5% तक कमी आ सकती है। इसका सीधा अर्थ है कि आपकी दैनिक आवश्यकताएं सस्ती होंगी और महंगाई का असर कम महसूस होगा। खासकर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी से आम आदमी को सबसे अधिक लाभ होगा.
GST के नियमों में बदलाव का कारण
वर्तमान में GST में चार टैक्स स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% लागू हैं, जो विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होते हैं। यह टैक्स प्रणाली थोड़ी जटिल हो गई है, जिससे लोगों के लिए इसे समझना कठिन हो जाता है। सरकार का उद्देश्य टैक्स दरों को सरल बनाना है ताकि टैक्स वसूलना आसान हो और लोग अधिक खरीदारी करें। SBI की रिपोर्ट के अनुसार, इन सुधारों के बाद GST की औसत दर लगभग 9.5% तक आ सकती है, जबकि वर्तमान में यह करीब 11.6% है।
अर्थव्यवस्था को होने वाले लाभ
इस बदलाव के कारण इस वर्ष सरकार को लगभग 45,000 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ सकता है। लेकिन टैक्स में कटौती और आयकर में राहत मिलने से देश की कुल खपत 5.31 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ सकती है। यह भारत की कुल जीडीपी का लगभग 1.6% है। स्पष्ट है कि भले ही सरकार को कुछ नुकसान होगा, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी और बाजार मजबूत होगा।
हानिकारक वस्तुओं पर बढ़ता टैक्स
सरकार ने पान मसाला, तंबाकू जैसी हानिकारक वस्तुओं पर भी ध्यान दिया है। GST 2.0 के तहत इन वस्तुओं पर टैक्स दर को बढ़ाकर लगभग 40% करने की योजना है। इसका उद्देश्य न केवल राजस्व बढ़ाना है, बल्कि इन हानिकारक उत्पादों की खपत को भी कम करना है।
सरकार का कहना है कि इस उच्च टैक्स का उद्देश्य इन उत्पादों के उपयोग को नियंत्रित करना और साथ ही अतिरिक्त राजस्व प्राप्त करना है। यह कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।