कर्ज के जाल में फंसे लोग: सैलरी से ज्यादा EMI का संकट

एक यूजर ने रेडिट पर साझा किया कि उसकी EMI उसकी सैलरी से भी अधिक हो गई है, जिससे वह आर्थिक संकट में फंस गया है। उसने बताया कि उसकी आय कम और EMI ज्यादा हो गई है, जिससे उसे समझ नहीं आ रहा कि वह आगे कैसे बढ़े। इस स्थिति में उसने समुदाय से मदद मांगी है। जानिए इस कर्ज के जाल में फंसे लोगों की कहानी और इससे बाहर निकलने के उपाय।
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कर्ज के जाल में फंसे लोग: सैलरी से ज्यादा EMI का संकट

कर्ज जाल में फंसने की कहानी

कर्ज के जाल में फंसे लोग: सैलरी से ज्यादा EMI का संकट

कर्ज जाल में ऐसे फंसते हैं लोग Image Credit source: Social Media


बैंकों का नियम है कि किसी ग्राहक की कुल EMI उसकी नेट सैलरी के आधे से अधिक नहीं होनी चाहिए। आमतौर पर, संस्थान सैलरी के 50% से अधिक की EMI को स्वीकृति नहीं देते। इसी कारण से, किसी व्यक्ति की आय के अनुपात में मासिक किश्तें निर्धारित की जाती हैं।

हाल ही में एक रेडिट पोस्ट ने ध्यान आकर्षित किया, जिसमें एक यूजर ने बताया कि उसकी EMI उसकी सैलरी के 100% से भी अधिक हो गई है। यह सुनकर कई लोग चौंक गए, क्योंकि ऐसे मामले बहुत कम होते हैं। आर्थिक दबाव में वह व्यक्ति गुड़गांव के रेडिट पेज पर अपनी स्थिति साझा करते हुए कहता है कि वह इस समस्या से कैसे निपटे।


कर्ज का जाल कैसे बना


पोस्ट में एक यूजर ने जब उससे उसकी संपत्ति के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि उसके पास केवल एक गाड़ी है, जिसकी कीमत लगभग तीन से साढ़े तीन लाख रुपये है। लेकिन वह उसे बेचने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि उसकी पत्नी गर्भवती है और गाड़ी उनके लिए आवश्यक है। इस कारण, पैसे जुटाने के लिए गाड़ी बेचना उसके लिए संभव नहीं है।


उसने यह भी बताया कि उसके सभी कर्ज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFC) से लिए गए थे। NBFC से लोन लेना आसान होता है, लेकिन ब्याज दरें अक्सर ऊंची होती हैं। इसलिए, अगर एक बार किश्तें बढ़ने लगें, तो उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है।


रेडिट पोस्ट में उसने स्पष्ट किया कि उसकी मौजूदा तनख्वाह EMI से भी कम रह गई है। हर महीने उसे सैलरी आने पर पहले से ज्यादा किस्त कटने का नोटिफिकेशन मिलता है, और कई बार तो EMI उसकी आय से भी अधिक हो जाती है। उसने बताया कि वह कर्ज के दबाव में इतना आ गया है कि अब उसे समझ नहीं आ रहा कि आगे क्या करे। उसके अनुसार, इंसेंटिव और अन्य खर्चों को छोड़कर उसकी सैलरी लगभग 43 हजार रुपये है, जबकि EMI कुल 55 हजार हो चुकी है। ऐसे में घर चलाना तो दूर, EMI भरना भी उसके लिए चुनौती बन गया है।


लोगों से मदद की अपील


पोस्ट में उसने बताया कि चूंकि उसकी अधिकांश EMI NBFC और ऑनलाइन ऐप से ली गई है, इसलिए कोई भी बैंक उसके लिए कर्ज कंसोलिडेशन के लिए तैयार नहीं है। आमतौर पर बैंक ऐसे मामलों में कंसोलिडेशन का विकल्प देते हैं, लेकिन ऑनलाइन ऐप्स और NBFC वाले लोन पारंपरिक बैंकों को आकर्षक नहीं लगते। इस कारण, वह कहीं से भी राहत नहीं पा रहा है।


इन सभी परिस्थितियों से परेशान होकर उसने रेडिट समुदाय से मदद मांगी और सवाल किया कि अब उसे क्या करना चाहिए। उसने स्वीकार किया कि उसने शुरुआत में बिना सोचे-समझे कई छोटे-बड़े लोन ले लिए थे, जो बाद में बढ़ते ब्याज और टॉप-अप ऑफर के कारण मुश्किलें बढ़ाते चले गए। अब स्थिति यह हो गई है कि आय कम और EMI ज्यादा है।


उसने लोगों से यह भी पूछा कि क्या कोई ऐसा समाधान है जिससे वह इस कर्ज के जाल से बाहर निकल सके। उसने खुलकर लिखा कि कर्ज ने उसकी आर्थिक स्थिति बिगाड़ दी है और वह मानसिक रूप से भी परेशान रहने लगा है।


पोस्ट का विवरण


कर्ज के जाल में फंसे लोग: सैलरी से ज्यादा EMI का संकट

Emi Trap में फंसा बंदा


यह पोस्ट r/Indian_flex पर @Historical_Maybe2599 नाम के यूजर ने डाली है। पोस्ट का शीर्षक था 'EMI अब सैलरी से भी ज्यादा हो गई है।' इस पोस्ट पर कई लोगों ने कमेंट कर उसकी मदद करने की कोशिश की और अपनी सलाह दी। किसी ने उसे खर्च कम करने की बात कही, किसी ने NBFC से निपटने के तरीके बताए और कुछ यूजर्स ने कानूनी सलाह लेने का सुझाव भी दिया। कई लोगों ने यह भी कहा कि उसे अपनी आय बढ़ाने के रास्ते खोजने चाहिए ताकि EMI का बोझ थोड़ा कम महसूस हो।