कपास की कीमतों में गिरावट: भारत में बुवाई में वृद्धि

कपास की बुवाई और कीमतों में उतार-चढ़ाव
Cotton: भारत के विभिन्न राज्यों में किसान कपास की बुवाई कर रहे हैं। हाल के समय में कपास की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास के दाम घट रहे हैं। इस साल भारत में कपास की बुवाई पिछले साल की तुलना में 2% अधिक हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कपास का मूल्य चार महीनों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सप्लाई में वृद्धि और मांग में कमी के कारण कपास के दाम लगातार गिरते जा रहे हैं। भारत के अलावा अन्य देशों में भी कपास का उत्पादन हो रहा है। 2024-25 सीजन में ब्राजील में कपास का उत्पादन बहुत अच्छा हुआ है, जबकि वहां के निर्यात में 11% की कमी आई है। चीन में भी कपास की मांग में कमी आई है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतों पर दबाव बना हुआ है.
कपास की कीमतों में साल भर में गिरावट
1 साल में कॉटन के रेट 11 फीसदी कम हुए
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतें पिछले सप्ताह में चार प्रतिशत कम हुई हैं। 30 दिनों के आंकड़ों के अनुसार, कपास की कीमतों में 6% की गिरावट आई है। पिछले एक साल में कपास के दाम 11% घट चुके हैं। हालांकि, इस साल कपास की बुवाई 2% अधिक हुई है। 20 जून तक 31.25 लाख हेक्टेयर में बुवाई की जा चुकी है। उत्तर भारत की कृषि मंडियों में बीटी कपास की कीमतें न्यूनतम 7500 से लेकर अधिकतम 8000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं। वहीं, लंबे रेशे वाले देसी कपास की कीमतें 6800 से 7000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं.
स्पिनिंग मिलों की स्थिति
110 में से 45 मिलें बंद
देश में कपास की मांग पिछले साल की तुलना में लगातार कम हो रही है। इस स्थिति में स्पिनिंग मिलें 70 से 80% की क्षमता पर काम कर रही हैं। आंध्र प्रदेश में कपास की खपत में कमी के कारण 110 में से 45 मिलें बंद हो चुकी हैं। कपास की बुवाई में वृद्धि का एक कारण एमएसपी में वृद्धि भी हो सकता है। यदि 10 अगस्त तक कपास की बुवाई होती है, तो यह पिछले साल की तुलना में 3 से 4 प्रतिशत अधिक हो सकती है। वर्तमान में, सीसीआई के पास 70 लाख बेल्स से अधिक का स्टॉक है। 30 सितंबर तक सीसीआई के पास लगभग 20 लाख बेल्स का स्टॉक बचने की संभावना है। अधिक स्टॉक सरकार के लिए चिंता का विषय है। पिछले 15 वर्षों में इस बार सबसे अधिक क्लोजिंग स्टॉक रहने का अनुमान है। देश में कपास के अधिक स्टॉक के कारण कीमतों में तेजी की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.
चावल की बुवाई में वृद्धि
चावल की बुवाई में 5% का इजाफा
कमोडिटी मार्केट से एक और जानकारी मिली है। मौसम विभाग ने पहले से ही मानसून की अच्छी बारिश की संभावना जताई थी, जिसका लाभ अब किसानों को मिल रहा है। इस बार चावल की बुवाई में वृद्धि हुई है। 20 जून तक 13.5 लाख हेक्टेयर में चावल की बुवाई हो चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में 5% अधिक है। राजस्थान, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में कपास और चावल की खेती को मानसून का लाभ मिल रहा है.