आरबीआई की रेपो दर में कटौती: जानें कैसे बचा सकते हैं लाखों रुपये

आरबीआई की रेपो दर में कमी
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में रेपो दर को 0.50 प्रतिशत घटाकर 5.50 प्रतिशत कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना और कर्ज की लागत को कम करना है। हालांकि, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट का कहना है कि इससे आपको लाखों रुपये का नुकसान हो सकता है। आइए इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
EMI में कमी की वास्तविकता
चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ने बताया कि दरों में कमी के बावजूद, कई उधारकर्ताओं को अपनी समान मासिक किस्तों (EMI) में तुरंत कमी नहीं दिखाई देगी। उन्होंने कहा, 'लोग मानते हैं कि रेपो दर में कटौती से उनकी EMI अपने आप कम हो जाती है, लेकिन अधिकांश मामलों में ऐसा नहीं होता।' उन्होंने चेतावनी दी कि यदि लोग उचित कदम नहीं उठाते हैं, तो उन्हें अपने लोन की अवधि में लाखों रुपये का नुकसान हो सकता है।
लोन की प्रकृति को समझें
उधारकर्ताओं को यह समझना आवश्यक है कि रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) या एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) से जुड़े लोन पर रेपो दर की कटौती का क्या प्रभाव पड़ेगा। कौशिक ने कहा, 'रेपो दर में कटौती केवल उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनके लोन रेपो दर से जुड़े हैं।' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि लाभ अपने आप नहीं मिलता।
बैंक से संपर्क करने का समय
90 दिन के अंदर बैंक से बात करें
उधारकर्ताओं को अपनी EMI में कमी न मिलने का एक बड़ा कारण यह है कि बैंक आमतौर पर ग्राहकों को ब्याज दरों में कटौती की सूचना नहीं देते हैं। उधारकर्ताओं के पास इन लाभों का अनुरोध करने के लिए 90 दिनों की समय सीमा होती है। यदि वे इस अवधि में चूक जाते हैं, तो उन्हें आने वाले वर्षों में अधिक EMI चुकानी पड़ सकती है। कौशिक ने सलाह दी कि समय पर कदम उठाकर अधिक भुगतान से बचें।
क्या करें?
लोगों को क्या करना चाहिए
कौशिक ने कहा कि लाभ प्राप्त करने के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आपका लोन रेपो-लिंक्ड है या फिर पुराने सिस्टम जैसे मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) पर आधारित है। यदि आपका लोन पुराने सिस्टम पर है, तो आप इसे बदलने पर विचार कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए 2 से 5 हजार रुपये का शुल्क लग सकता है, लेकिन यह राशि कुछ ही महीनों में वसूल हो जाएगी।
आरबीआई से शिकायत
आरबीआई से कर सकते हैं शिकायत
यदि आपकी ब्याज दर कम हो जाती है, तो आपको अपने बैंक को 'RBI परिपत्र 2019 (संशोधित 2024) के अंतर्गत ब्याज रीसेट अनुरोध' विषय पर एक ईमेल भेजकर इस कमी की पुष्टि करनी चाहिए। यदि बैंक ऐसा नहीं करता है, तो आप इसकी शिकायत RBI की शिकायत प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से कर सकते हैं।
सावधानी बरतें
कौशिक ने संभावित ब्याज दरों में कटौती के मद्देनजर उधारकर्ताओं की सतर्कता के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए अधिक भुगतान न करें क्योंकि आपका बैंक आपको बताना भूल गया। जल्दी से जल्दी कदम उठाकर उधारकर्ता रेपो दर में कटौती का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं और अपने लोन की अवधि के दौरान काफी बचत कर सकते हैं।