आयकर रिटर्न फाइलिंग की समयसीमा बढ़ी: जानें जुर्माना और सावधानियाँ

आयकर रिटर्न फाइलिंग की नई समयसीमा
यदि आप अभी तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल नहीं कर पाए हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। आयकर विभाग ने रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दिया है। इसका मतलब है कि अब टैक्सपेयर्स को रिटर्न दाखिल करने के लिए 45 दिनों का अतिरिक्त समय मिल गया है।
समयसीमा का महत्व
हालांकि, यह अतिरिक्त समय केवल राहत के लिए है, लापरवाही के लिए नहीं। यदि आपने 15 सितंबर के बाद ITR दाखिल किया, तो आपको न केवल भारी जुर्माना देना पड़ सकता है, बल्कि आपकी वित्तीय स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
ITR फाइलिंग में देरी के नुकसान
1- आपकी वित्तीय साख पर बुरा असर: लेट फाइलिंग से आपकी टैक्स प्रोफाइल पर सवाल उठ सकते हैं, जिससे बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों में आपकी विश्वसनीयता कम हो सकती है।
2- लोन आवेदन में कठिनाई: समय पर ITR न फाइल करने पर पर्सनल, होम या बिजनेस लोन के लिए आवेदन करते समय समस्याएँ आ सकती हैं। कई बैंक पिछले ITR रिकॉर्ड के आधार पर ही लोन को मंजूरी देते हैं।
3- रिफंड में देरी: यदि आपके रिटर्न में रिफंड बनता है और आपने ITR देर से फाइल किया है, तो रिफंड मिलने में अनावश्यक देरी हो सकती है।
4- वीजा प्रक्रिया में रुकावट: विदेश यात्रा या अध्ययन के लिए वीजा आवेदन के समय समय पर फाइल किया गया ITR एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। देरी से दाखिल रिटर्न इस प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
जुर्माना कितना होगा?
यदि कोई व्यक्ति 15 सितंबर के बाद ITR फाइल करता है, तो उसे आयकर कानून के तहत देरी से फाइलिंग का जुर्माना देना होगा। जुर्माने की राशि आपकी कुल सालाना आय के आधार पर निर्धारित होती है:
इसके अलावा, यदि आपके ऊपर टैक्स बकाया है और आपने उसे समय पर नहीं चुकाया है, तो हर महीने 1% का ब्याज भी अतिरिक्त देना पड़ सकता है।
ITR फाइल करते समय ध्यान देने योग्य बातें
ITR फाइलिंग केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी भी है। इसे सही तरीके से और समय सीमा के भीतर करना आवश्यक है। फाइल करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें।
1- सही ITR फॉर्म चुनें: आयकर विभाग की वेबसाइट पर ITR-1, ITR-2, ITR-3 और ITR-4 उपलब्ध हैं। अपनी आय के स्रोत और अन्य विवरणों के आधार पर सही फॉर्म का चयन करें।
2- टैक्स रिजीम का चुनाव सोच-समझकर करें: आपको पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था में से किसी एक का चुनाव करना होता है। अपनी आय और व्यय के अनुसार निर्णय लें।
3- ई-वेरिफिकेशन करना न भूलें: ITR फाइल करने के बाद उसे ई-वेरिफाई करना अनिवार्य है। यदि आपने रिटर्न भरा लेकिन ई-वेरिफिकेशन नहीं किया, तो आपकी फाइलिंग अधूरी मानी जाएगी।
4- दस्तावेजों की जांच पहले करें: फॉर्म भरने से पहले सभी जरूरी दस्तावेज जैसे फॉर्म 16, बैंक स्टेटमेंट और अन्य आय के प्रमाण तैयार रखें।