अमित शाह 24 जुलाई को राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 की करेंगे घोषणा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 24 जुलाई को नई सहकारिता नीति 2025 की घोषणा करेंगे, जो भारत के सहकारिता आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नीति सहकारी संस्थाओं को पुनर्जीवित करने और आधुनिक बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। पिछले 20 वर्षों में हुए बदलावों को ध्यान में रखते हुए, यह नई नीति सहकारी क्षेत्र की भूमिका को मजबूत करने में मदद करेगी। इस नीति के निर्माण में विभिन्न हितधारकों के सुझावों को शामिल किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सहकारी संस्थाएं भविष्य के लिए तैयार रहें।
Jul 22, 2025, 19:26 IST
|

राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का ऐलान
केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह 24 जुलाई को राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का उद्घाटन करेंगे। यह पहल भारत के सहकारिता आंदोलन के लिए 2025 से 2045 तक एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। शाह यह घोषणा राष्ट्रीय राजधानी में अटल अक्षय ऊर्जा भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में करेंगे। सहकारिता मंत्रालय के अनुसार, नई नीति का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को पुनर्जीवित करना और आधुनिक बनाना है, साथ ही जमीनी स्तर पर एक रोडमैप तैयार करके सहकारिता के माध्यम से समृद्धि के लक्ष्य को साकार करना है।
भारत की पहली राष्ट्रीय सहकारी नीति 2002 में जारी की गई थी, जिसने सहकारी संस्थाओं के आर्थिक प्रबंधन के लिए एक बुनियादी ढांचा प्रदान किया। मंत्रालय ने बताया कि पिछले 20 वर्षों में वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति के चलते समाज और देश में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए, एक नई नीति का निर्माण आवश्यक हो गया है ताकि सहकारी संस्थाएं वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में अधिक सक्रिय और उपयोगी बन सकें और 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहकारी क्षेत्र की भूमिका को मजबूत किया जा सके।
राष्ट्रीय सहकारी नीति का मुख्य उद्देश्य सहकारी संस्थाओं को समावेशी बनाना, उनका पेशेवर प्रबंधन करना और विशेष रूप से ग्रामीण भारत में रोजगार और आजीविका के अवसरों का सृजन करना है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्यक्षता में 48 सदस्यीय राष्ट्रीय स्तर की समिति ने नई नीति का निर्माण किया है। इस समिति में विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य सहकारी संघों, सभी स्तरों की सहकारी समितियों, संबंधित सरकारी मंत्रालयों और शिक्षाविदों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
समिति ने अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुरुग्राम और पटना में 17 बैठकें और चार क्षेत्रीय कार्यशालाएँ आयोजित कीं ताकि सहभागिता और समावेशिता सुनिश्चित की जा सके। हितधारकों से प्राप्त 648 सुझावों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया गया और इन्हें नई नीति में शामिल किया गया। अमित शाह जब राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 की घोषणा करेंगे, तब इस अवसर पर राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) और वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वैमनिकॉम) के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे।