अक्टूबर में अर्थव्यवस्था को मिले 6 महत्वपूर्ण तोहफे

अक्टूबर 2025 में भारत की अर्थव्यवस्था में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं। शेयर बाजार में तेजी, जीएसटी संग्रह में वृद्धि, और केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में इजाफा जैसे महत्वपूर्ण घटनाक्रमों ने देश को खुशियों की बौछार दी है। जानें कैसे इन बदलावों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है और क्या हैं इसके पीछे के कारण।
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अक्टूबर में अर्थव्यवस्था को मिले 6 महत्वपूर्ण तोहफे

अर्थव्यवस्था में खुशियों की बौछार

अक्टूबर में अर्थव्यवस्था को मिले 6 महत्वपूर्ण तोहफे

शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था में कई सकारात्मक संकेत मिले हैं।

अक्टूबर का महीना शुरू होते ही शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था में खुशियों की लहर देखने को मिली है। जीएसटी संग्रह में वृद्धि हुई है, जबकि शेयर बाजार में भी तेजी आई है। केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में इजाफा हुआ है, जिससे ऑटो बिक्री में भी बढ़ोतरी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक की नीति में महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर सकती हैं। इसके साथ ही, रुपए के अंतरराष्ट्रीयकरण के चलते डॉलर के मुकाबले रुपए में सुधार देखने को मिला है। आइए जानते हैं कि बाजार और अर्थव्यवस्था में देश को कौन-कौन से तोहफे मिले हैं।

शेयर बाजार में उछाल

एक अक्टूबर को शेयर बाजार में जोरदार उछाल देखने को मिला। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसक्स 8 कारोबारी दिनों की गिरावट के बाद 715.69 अंकों की वृद्धि के साथ 80,983.31 अंकों पर बंद हुआ। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 50 भी 225.20 अंकों की बढ़त के साथ 24,836.30 अंकों पर पहुंच गया। इस तेजी के चलते निवेशकों को 3,89,846.24 करोड़ रुपए का लाभ हुआ। इससे पहले, शेयर बाजार लगातार 8 दिनों तक 3 प्रतिशत से अधिक गिर चुका था।

रुपए में सुधार

बुधवार को इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर से नौ पैसे सुधार कर 88.71 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा में निर्यातकों को समर्थन देने और घरेलू मुद्रा की स्थिरता लाने के लिए कई उपायों की घोषणा की गई, जिससे रुपए में सुधार आया। करेंसी बाजार में रुपया 88.79 पर खुला और कारोबार के दौरान 88.65 के उच्च स्तर को छुआ। अंत में, यह 88.71 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से नौ पैसे अधिक है।

जीएसटी संग्रह में वृद्धि

सितंबर में जीएसटी संग्रह 9 प्रतिशत बढ़कर 1.89 लाख करोड़ रुपए हो गया। दरों को युक्तिसंगत बनाने के कारण बिक्री में वृद्धि से जीएसटी संग्रह में यह वृद्धि हुई है। जीएसटी संग्रह में सालाना आधार पर 9.1 प्रतिशत और मासिक आधार पर 1.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। ग्रॉस जीएसटी संग्रह सितंबर 2024 में 1.73 लाख करोड़ रुपये और अगस्त 2025 में 1.86 लाख करोड़ रुपये था। जीएसटी दरों में बदलाव 22 सितंबर से लागू हुआ।

इसका असर जीएसटी आंकड़ों में भी देखने को मिला है। जीएसटी 2.0 सुधार लागू होने के बाद 22 सितंबर से रसोई के सामान से लेकर इलेक्ट्रॉनिक, दवाओं और उपकरणों से लेकर मोटर वाहन तक 375 चीजों की कीमतें कम हुई हैं। आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 में सकल घरेलू राजस्व 6.8 प्रतिशत बढ़कर 1.36 लाख करोड़ रुपये हो गया जबकि आयात कर 15.6 प्रतिशत बढ़कर 52,492 करोड़ रुपये रहा। जीएसटी रिफंड भी सालाना आधार पर 40.1 प्रतिशत बढ़कर 28,657 करोड़ रुपये हो गया। शुद्ध जीएसटी संग्रह सितंबर 2025 में 1.60 लाख करोड़ रुपये रहा, जो सालाना आधार पर पांच प्रतिशत अधिक है।

ऑटो बिक्री में वृद्धि

जीएसटी दरों में कटौती के कारण वाहनों की कीमतें घटने से नवरात्रि के दौरान मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जिससे प्रमुख वाहन कंपनियों जैसे मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने सितंबर में मजबूत बिक्री दर्ज की। सितंबर में वाहनों की थोक बिक्री के मामले में टाटा मोटर्स ने दूसरा और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने तीसरा स्थान हासिल किया, जबकि हुंदै मोटर इंडिया चौथे स्थान पर रही।

मारुति सुजुकी इंडिया की खुदरा बिक्री पिछले महीने 1.73 लाख इकाई रही, जो सितंबर 2024 की तुलना में 27.5 प्रतिशत अधिक है। टाटा मोटर्स ने कहा कि उसके यात्री वाहनों की थोक बिक्री 45 प्रतिशत बढ़कर 59,667 इकाई हो गई। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने पिछले महीने घरेलू बाजार में 56,233 उपयोगी वाहन डीलरों को भेजे, जो पिछले साल की समान अवधि में बिके 51,062 वाहनों की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। हुंदै मोटर इंडिया ने कहा कि डीलरों को घरेलू स्तर पर भेजे गए वाहनों की संख्या पिछले महीने मामूली वृद्धि के साथ 51,547 इकाई हो गई।

आरबीआई की नीति बैठक में महत्वपूर्ण घोषणाएं

बुधवार को मौद्रिक नीति बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक ने भले ही नीति दर में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन अगली बार दर कट के संकेत दिए हैं। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि अगस्त की नीति के बाद से ग्रोथ और महंगाई की गतिशीलता में बदलाव देखने को मिला है। खाद्य कीमतों में भारी गिरावट से ओवरऑल महंगाई का अनुमान अधिक अनुकूल हो गया है। इसके परिणामस्वरूप, केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने औसत महंगाई अनुमान को पहले के 3.1 फीसदी से घटाकर 2.6 फीसदी कर दिया है।

वहीं, लोन फ्लो में सुधार के लिए, आरबीआई ने शेयरों के बदले लोन लेने की सीमा मौजूदा 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए कर दी है। आरबीआई ने कैलेंडर वर्ष 2025 में अब तक ब्याज दरों में 100 आधार अंकों की कटौती के बाद अर्थव्यवस्था में लोन फ्लो में सुधार के लिए 5 घोषणाएं की हैं। आईपीओ फाइनेंसिंग लिमिट को बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दिया गया है। इसे बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक बड़े प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है।

महंगाई भत्ते में वृद्धि

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिवाली का तोहफा देते हुए बुधवार को लगभग 49.19 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों और 68.72 लाख पेंशनर्स के महंगाई भत्ते (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) में तीन प्रतिशत की वृद्धि की। यह वृद्धि एक जुलाई, 2025 से प्रभावी होगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि इस वृद्धि के कारण राजकोष पर कुल मिलाकर 10,083.96 करोड़ रुपए का सालाना प्रभाव पड़ेगा। यह वृद्धि सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित स्वीकृत फॉर्मूले के अनुसार है।