RBI का बड़ा फैसला: ₹2000, ₹5 और ₹2 के नोटों की छपाई बंद

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ₹2000, ₹5 और ₹2 के नोटों की छपाई बंद करने का निर्णय लिया है, जिसका उद्देश्य मुद्रा प्रणाली को सुरक्षित बनाना है। इस कदम से डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा और नकली नोटों की समस्या में कमी आएगी। ₹500 का नोट अब सबसे अधिक प्रचलित है, जबकि ₹2000 के नोटों की संख्या तेजी से घट रही है। RBI की नई पहल 'Sa-Mudra' से करेंसी प्रबंधन में तकनीकी सुधार होगा। जानें इस निर्णय के पीछे की वजहें और इसके संभावित प्रभाव।
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RBI का बड़ा फैसला: ₹2000, ₹5 और ₹2 के नोटों की छपाई बंद

RBI का नया निर्णय

नेशनल डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने तीन महत्वपूर्ण नोटों की छपाई को रोकने का निर्णय लिया है। इस बदलाव का उद्देश्य देश की मुद्रा प्रणाली को और अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाना है। आइए जानते हैं कि कौन से नोट अब नए रूप में नहीं छापे जाएंगे और इसके पीछे की वजहें क्या हैं, जो आपके दैनिक लेनदेन और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल सकती हैं।


डिजिटल लेनदेन को मिलेगा बढ़ावा

इस कदम से डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन मिलेगा और नकली नोटों की समस्या में कमी आएगी।


₹2000 के नोट का भविष्य

₹2000 के नोट अब लगभग बंद

RBI ने पिछले वित्तीय वर्ष से ₹2000 के नोटों को बाजार से वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की थी। मार्च 2025 तक, ₹3.56 लाख करोड़ के नोटों में से लगभग 98.2% बैंकिंग प्रणाली में लौट चुके हैं, जिससे आम लोगों के पास अब ₹2000 के नोटों की संख्या बहुत कम रह गई है।


₹500 का नोट सबसे लोकप्रिय

₹500 का नोट बना सबसे लोकप्रिय

वर्तमान में ₹500 का नोट सबसे अधिक उपयोग में है। नोटों की कुल संख्या में इसका हिस्सा लगभग 41% है, जबकि कुल मूल्य में यह 86% तक का योगदान करता है। यही कारण है कि ₹500 का नोट भारतीय मुद्रा का सबसे बड़ा स्तंभ बन चुका है।


छपाई बंद होने वाले नोट

किन नोटों की छपाई बंद हुई?

RBI ने स्पष्ट किया है कि ₹2, ₹5 और ₹2000 के नोट अब नई छपाई के लिए जारी नहीं किए जाएंगे। इसका अर्थ है कि भविष्य में इन नोटों की संख्या स्थिर रहेगी और धीरे-धीरे पुराने नोट बाजार से हटते जाएंगे।


सिक्कों की स्थिति

सिक्कों की संख्या और मूल्य में बढ़ोतरी

FY25 में सिक्कों की कुल संख्या में 3.6% और मूल्य में लगभग 9.6% की वृद्धि हुई है। ₹1, ₹2 और ₹5 के सिक्के कुल सिक्कों की 81.6% हिस्सेदारी रखते हैं, जो उन्हें आम लेन-देन के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय बनाता है।


डिजिटल करेंसी का उदय

डिजिटल करेंसी की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता

RBI की डिजिटल करेंसी e₹ की वैल्यू FY25 में 334% बढ़कर ₹1,016.5 करोड़ तक पहुंच गई है। डिजिटल ₹500 की हिस्सेदारी इसमें सबसे अधिक है, जो 84.4% तक पहुंच गई है। डिजिटल करेंसी के बढ़ते उपयोग से कैशलेस इंडिया की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।


जाली नोटों की स्थिति

जाली नोटों की स्थिति

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ₹10, ₹20 और ₹2000 के नकली नोटों की संख्या में कमी आई है, जबकि ₹200 और ₹500 के नकली नोटों की पकड़ बढ़ी है। इससे पता चलता है कि जाली नोटों की चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।


खर्च और पर्यावरण संरक्षण

खर्च और पर्यावरण संरक्षण

FY25 में नोट छपाई पर ₹6,372.8 करोड़ खर्च हुए, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। साथ ही, पुराने और गंदे नोटों के निपटान के लिए अब पर्यावरण के अनुकूल तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिनमें इन नोटों को पार्टिकल बोर्ड और फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा।


नई पहल 'Sa-Mudra'

‘Sa-Mudra’ परियोजना से करेंसी प्रबंधन होगा हाई-टेक

RBI ने ‘Sa-Mudra’ नाम की नई पहल शुरू की है, जो नोटों की गिनती, छंटाई और ट्रैकिंग को डिजिटल और ऑटोमैटिक बनाएगी। इससे करेंसी प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी।


तकनीकी नवाचार

– BIS प्रमाणित नोट सॉर्टिंग मशीनों का उपयोग 1 नवंबर 2025 से अनिवार्य होगा।

-‘MANI App’ जैसी तकनीकें दृष्टिबाधितों के लिए नोट पहचानने में मदद कर रही हैं।

-‘मोबाइल कॉइन वैन’ और ‘कॉइन मेला’ जैसी पहलों से सिक्कों की उपलब्धता बढ़ाने का प्रयास जारी है।